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श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान - श्वेताम्बर मन्दिर, विपुलाचल (राजगृही)
यादवगण पश्चिम दिशा में जाकर द्वारिका नगरी अधिकार हुआ | श्री कृष्ण ने जरासंघ के पुत्र सहदेव बसाकर वहाँ रहने लगे । यादवों का क्षेत्र भी काफी को गिरिब्रज का राज्य भार सौंपा लेकिन गिरिब्रज का बढ़ चुका था।
वैभव घटता गया । जरासंध ने यादवों से उसकी अधीनता स्वीकारने या राजा श्रेणिक प्रारम्भ से बुद्ध धर्मावलम्बी थे परन्तु युद्ध के लिये तैयार होने लिये आह्वान किया । इस पर वैशाली गणतंत्र के गणाधीश राजा चेटक की पुत्री दोनों फौजों में भीषण युद्ध हुआ । इसी युद्ध के समय चेलना के साथ विवाह करने के बाद जैन धर्म के श्री शंखेश्वर पार्श्वप्रभु की प्रतिमा का न्हवण जल सेना उपासक बनकर जैन-धर्म-प्रचार व प्रसार के पर छिड़काया गया, जिससे उपद्रव शांत हुआ । अन्त लिये अपनी अमूल्य शक्ति का उपयोग किया था । राजा में जरासंध मारा गया । इस काल में इस नगरी को श्रेणिक भगवान महावीर के प्रमुख श्रोता थे, भगवान गिरिब्रज कहते थे । गिरिब्रज पर श्री कृष्ण का के हर समवसरण में भाग लेते थे व शंका का