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यहाँ का अन्तिम जीर्णोद्धार वि. सं. 1930 में होने का उल्लेख शिलालेखों में उत्कीर्ण है ।
विशिष्टता * चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवान के बारह वर्ष की घोर तपश्चर्या के कारण व केवलज्ञान प्राप्ति के कारण यहाँ के परमाणु अत्यन्त पवित्र बन चुके है । जिस स्थान पर भगवान की 12 वर्ष घोर तपश्चर्या होकर केवलज्ञान हुआ उस जगह की महानता अवर्णनीय है ।
अन्य मन्दिर * वर्तमान में इसके अतिरिक्त अन्य कोई मन्दिर नहीं है ।
कला और सौन्दर्य * नदी तट पर स्थित मन्दिर का दृश्य अतीव रोचक है । मन्दिर की निर्माण शैली भी अति सुन्दर है । इसी नदी में भगवान महावीर की एक प्राचीन प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जिसकी कला अति सुन्दर है जो मन्दिर में विराजमान हैं ।
मार्ग दर्शन * नजदीक का रेल्वे स्टेशन गिरडिह 12 कि. मी. है । यह स्थल गिरडिह-मधुबन (सम्मेतशिखर) मार्ग पर स्थित है । गिरडिह से बस व टेक्सी की सुविधा है । मधुबन से यहाँ की दूरी 18 कि. मी. है। मन्दिर तक बस व कार जा सकती है ।
सुविधाएँ * ठहरने के लिये धर्मशाला है जहाँ पानी, बिजली का साधन है ।
पेढ़ी * श्री जैन श्वेताम्बर सोसायटी, बराकर पोस्ट : बन्दरकुपी - 825 108. जिला : गिरडिह, प्रान्त : बिहार, फोन : 08736-24351.
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श्री महावीर भगवान चरण पादुकाएँ - ऋजुबालुका
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