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________________ विशिष्टता * वर्तमान चोबीसी के तेरहवें तीर्थंकर श्री विमलनाथ भगवान के च्यवन, जन्म, दीक्षा केवलज्ञान ऐसे चार कल्याणक होने का सौभाग्य इसी भूमि को प्राप्त हुआ । अतः यहाँ के कण-कण से प्रभु के चरण स्पर्श होने से यहाँ का हर स्थान वन्दनीय है । राजा श्री हरिषेण जैसे महान धर्मनिष्ठ दसवें चक्रवर्ती को जन्म देने का सौभाग्य भी इसी भूमि को प्राप्त है, जिन्होंने अपने राज्य को जिनप्रतिमाओं से अलंकृत कर दिया था-ऐसा उल्लेख दिगम्बराचार्य श्री रविसेणजी ने किया है । सोलह सतियों में स्थान पाने वाली सती द्रौपदी का भी यह जन्म एवं स्वयंवर स्थान है । सती द्रोपदी के सतीत्व की गाथा जैनों में ही नहीं जैनेतरों में भी गाई जाती है । इस नगरी को श्री आदिनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान एवं श्री महावीर भगवान के पदार्पण का सौभाग्य भी प्राप्त हुवा है । ऐसे महान पावन पवित्र भूमि का जितना वर्णन करें कम हैं । यहाँ की विशेषता तो यहाँ के कण-कण में भरी है । श्री विमलनाथ भगवान (दि.)-कम्पिलाजी प्रतिवर्ष श्वेताम्बर मन्दिर में पौष शुक्ला 6 को व दिगम्बर मन्दिर में चैत्र कृष्णा अमावस्या से चैत्र शुक्ला तृतीया तक एवं आसोज कृष्णा द्वितीया को मेलों का आयोजन होता है । अन्य मन्दिर * वर्तमान में इन दो मन्दिरों के अतिरिक्त और कोई मन्दिर नहीं हैं । कला और सौन्दर्य * यहाँ मन्दिरों में कुषाण व गुप्तकालीन प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं । प्रतिमाएँ अति ही सुन्दर व भावात्मक हैं । मार्ग दर्शन * सड़क मार्ग द्वारा दिल्ली से लगभग 300 कि. मी., कानपुर से 180 कि. मी., आगरा से 150 कि. मी. व सौरीपुर से 160 कि. मी. दूरी पर है । नजदीक का रेल्वे स्टेशन कायमगंज लगभग 10 कि. मी. दूर है, जहाँ पर बस, आटो की सुविधा है । मन्दिरों तक कार व बस जा सकती है। सुविधाएँ * ठहरने के लिए श्वेताम्बर व दिगम्बर सर्वसुविधायुक्त धर्मशालाएँ हैं । जहाँ भोजनशाला की सुविधा भी उपलब्ध है । पेढ़ी * 1. श्री जैन श्वेताम्बर महासभा - श्री विमलनाथ स्वामी जैन श्वेताम्बर मन्दिर पेढ़ी, पोस्ट : कम्पिल -207505. जिला : फरूखाबाद, प्रान्त : उत्तर प्रेदश, फोन : 05690-71289. 2. श्री विमलनाथ दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, पोस्ट : कम्पिल - 207 505. जिला : फरूखाबाद, प्रान्त : उत्तर प्रेदश, फोन : 05690-71230. । श्री विमलनाथ भगवान मन्दिर (दि.)-कम्पिलाजी 131
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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