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________________ श्री विमलनाथ भगवान (श्वे ) - कम्पिलाजी श्री कम्पिलाजी तीर्थ तीर्थाधिराज * 1. श्री विमलनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, श्वेत वर्ण, लगभग 45 45 सें. मी. ( श्वे. मन्दिर ) । 2. श्री विमलनाथ भगवान, पद्मासनस्थ, श्याम वर्ण, लगभग 60 सें. मी. (दि. मन्दिर) । तीर्थ स्थल * कम्पिलपुर गाँव में । प्राचीनता इस नगरी के प्राचीन नाम काम्पिल्य, भोगपुर, माकन्दी आदि बताये जाते हैं । भगवान श्री आदिनाथ द्वारा विभाजित 52 जनपदों में पाँचाल जनपद का यह एक मुख्य शहर था । देवाधिदेव तेरहवें तीर्थंकर श्री विमलनाथ भगवान के च्यवन, जन्म, दीक्षा व केवलज्ञान इन चार कल्याणकों से यह भूमि पावन बनी है। कम्पिला में एक अघातिया टीला है। यहीं भगवान ने घाति कर्मों का नाश करके केवलज्ञान प्राप्त किया था ऐसी मान्यता है । बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान के काल में यहाँ के राजा इक्ष्वाकु वंशी श्री पद्मनाभ हुए, जिन्होंने दीक्षा ग्रहण करके केवलज्ञान प्राप्त किया था। प्रतापी व धर्मनिष्ठ दसवें चक्रवर्ती श्री हरिषेण भी यहीं हुए । 130 बाईसवे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान के काल में राजा द्रुपद की यह राजधानी थी । राजा द्रुपद की पुत्री द्रोपदी का विवाह पाण्डु पुत्रों के साथ हुआ था। सती श्री द्रौपदी अंत समय में दीक्षा ग्रहण कर श्री शंत्रुजय तीर्थ पर देवगति को प्राप्त हुई थी । किसी समय दक्षिण पांचाल देश की यह एक समृद्ध व विराट नगरी थी व इसका घेराव लगभग बीस मील का था । अठारहवीं सदी में श्री सौभाग्यविजयजी ने इस शहर को पिटियारी नाम से भी संबोधित किया है। यहाँ भूगर्भ से प्राप्त प्राचीन अवशेषों से ज्ञात होता है कि यहाँ अनेकों जिन मन्दिर थे परन्तु यह नगरी छोटे से गाँव में परिवर्तित होकर आज यहाँ एक श्वेताम्बर व एक दिगम्बर मन्दिर हैं। इस श्वे. मन्दिर का जीर्णोद्धार होकर पुनः प्रतिष्ठा वि. सं. 1904 में हुई थी । दि. मन्दिर वि. सं. 549 में निर्मित हुआ बताया जाता है। इटली के पुरातत्व वाले दो वर्षों से यहाँ पर उत्खन्न कार्य कर रहे हैं । ईसा के 2000 वर्ष पहिले की मूर्तियाँ व मृद भाण्ड मिले हैं ऐसा उल्लेख है । श्वे. मन्दिर के पुनः जीर्णोद्धार का कार्य जल्दी ही प्रारंभ होने वाला है । श्री विमलनाथ भगवान (श्वे ) - मन्दिर कम्पिलाजी -
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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