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________________ पभोषा अतिशय स्थल भी माना जाता है। प्रभु प्रतिमा का वर्ण सुबह से शाम तक बदलता रहता है । कभी-कभी रात में केशरिया बून्दों की वर्षा होती है कहा जाता है चैत्री पूर्णिमा व कार्तिक शुक्ला 13 को ज्यादा मात्रा में केशरी वर्षा होती है । । प्रतिवर्ष चैत्री पूर्णिमा को मेला भरता है तब जगह-जगह से यात्री इकट्ठे होकर प्रभु-भक्ति का लाभ लेते हैं । अन्य मन्दिर * वर्तमान में यहाँ इसके अतिरिक्त पहाड़ी के ऊपरी भाग में दो दिगम्बर मन्दिर व एक मान स्थंभ है, वहाँ जाने हेतु 100 पगयिये बने हुवे हैं निकट ही प्राचीन मन्दिरों के खण्डहर पड़े हैं । कला और सौन्दर्य * श्री पद्मप्रभ भगवान के प्रतिमा की कला का जितना वर्णन करे कम हैं। यहाँ आसपास में जैन पुरातत्व संबंधी सामग्री व मूर्तियाँ मिलती रहती हैं। यहाँ की प्राचीन प्रतिमाएँ प्रायः थुंग और मित्तवंशी राजाओं के काल की मालूम पड़ती हैं। यमुना नदी के किनारे बसा यह पावन क्षेत्र अतीव रमणिक है । मार्ग दर्शन * नजदीक का रेल्वे स्टेशन अलाहाबाद 65 कि. मी. है, जहाँ से मनोरी, मंजनपुर टेबा होते हुए भी बस व कार द्वारा आया जा सकता है । नजदीक का गाँव गिराजु 3 कि. मी. है । कौशाम्बी से पाली होते हुए 8 कि. मी. है, लेकिन यह रास्ता फिलहाल कच्चा है । तलहटी तक बस व कार जा सकती है। पहाड़ी चढ़ने के लिए 175 सीढ़ियाँ है । जो बहुत सुलभ है । सुविधाएँ * निकट ही सर्वसुविधायुक्त विशाल धर्मशाला व एक हॉल है । जहाँ भोजनशाला की सुविधा भी उपलब्ध है। कहने पर या पूर्व सूचना पर भोजन का इंतजाम कर दिया जाता है । पेढ़ी * श्री पद्मप्रभु दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र, प्रभाषगिरी (पभोषा) पोस्ट : जिला: फोन : 05331-66144. गिराजु - 212 214. तहसील: मंजनपूर, कौशाम्बी, प्रान्त उत्तर प्रदेश, 品 श्री पद्मप्रभ भगवान वर्तमान मूलनायक (दि.) - प्रभोषा श्री पद्मप्रभ भगवान (दि.) मन्दिर पभोषा 111
SR No.002330
Book TitleTirth Darshan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
PublisherMahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publication Year2002
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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