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श्री पार्श्वनाथ भगवान (दि.) - भेलुपुर-बनारस
का सौभाग्य मिला हो, उस स्थान का वर्णन किन शब्दों में किया जाय । कितनी ही महान भाग्यशाली आत्माओ ने प्रभु वाणी का यहाँ अमृतपान पिया होगा, ऐसी पवित्र पुण्य स्थली का कण-कण वन्दनीय है । पार्श्वनाथ भगवान ने यहीं पर जलती हुई आग से तड़फते हुए नाग, नागिन को निकालकर मरणासन्न अवस्था में परम नवकार महामंत्र का पाठ सुनाया था। जिससे अगले भव में धरणेन्द्र व पद्मावती हुए, जो प्रभु के शासन में शासनदेव व शासनदेवी बने, जिन्हें
अधिष्ठायक व अधिष्ठात्री भी कहते हैं । वे आज भी जैन शासन की प्रभावना के कार्यों में साक्षात्कार हैं । इनके स्मरण मात्र से श्रद्धालु भक्त जनों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं । प्रायः हर साधना में इनके नाम का स्मरण किया जाता है जिससे सारे कार्य निर्विघ्न सुख-शान्ति पूर्वक पूर्ण होते हैं । आज भी जगह-जगह चमत्कारिक घटनाओं के घटने के वृतान्त भक्तजनों द्वारा अभिहित किये जाते हैं। ऐसे प्रकट प्रभावी शासनदेव व शासनदेवी भी इसी पावन भूमि में हुए । ऐसी पावन
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