________________
मत कर मोह तू, हरि-भजनको मान रे । नयन दिये दरसन करने को, श्रवण दिए
सुन ज्ञान रे ॥ बदन दिया हरिगुण गाने को, हाथ दिए
कर दान रे ॥
कहत कबीर सुनो भाई साधो, कंचन निपजत खान रे ॥
झीनी झीनी बिनी चदरिया ॥ काहे कै ताना, काहे कै भरनी कौन तार से बिनी चदरिया | इंगला पिंगला ताना भरनी सुषमन तार से बिनी चदरिया | आठ कँवल दस चरखा डोलै पाँच तत्त, गुण तिनी चदरिया ॥ साईं को सीयत मास दस लागै ठोक ठोक के बिनी चदरिया | सो चादर सुर नर मुनि ओढ़ी ओढ़ी के मैली कीनी चदरिया | दास कबीर जतन से ओढ़ी ज्यों की त्यों धरि दीनी चदरिया |
44