SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ काहे रे ! बन खोजन जाई। सर्व-निवासी सदा अलेपा, तोही संग समाई ॥ पुष्प मध्य ज्यों बास बसत है, मुकुर माहिं जस छाई ॥ तैसे ही हरि बसैं निरंतर, घट ही खोजो भाई ॥ बाहर भीतर एकै जानौ, यह गुरु ज्ञान बताई। जन नानक बिन आपा चीन्हे, मिटे न भ्रम की काई ।। वैष्णव जन तो तेने कहिऐ, जे पीड पराई जाणे रे-- परदुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे-- सकल लोकमाँ सहुने बंदे, निन्दा न करे केनी रे-- वाच काछ मन निश्चल राखे, धन धन जननी तेणी रे-- मोह माया व्यापे नहि जेने, दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे। राम नाम शुं ताली लागी, सकल तीरथ तेना तनमां रे-- वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीड पराई जाणे रे॥ गुजराती गीत
SR No.002329
Book TitleNaman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhuban Educational Books
PublisherMadhuban Educational Books
Publication Year
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy