________________
चरित्र गति हेतु ग्राह गुणसूत्र व प्रचार नेटवर्क
चरित्र निर्माण अभियान का विस्तार
यह सवा-सवा लाख के दो मोतियों की कहानी है ।
कैसे थे वे मोती? वे मोती एक चरित्रनिष्ठ पुरुष की आंखों से टपके थे और एक दूसरे चरित्रनिष्ठ पुरुष ने उनकी पहचान की थी, मूल्यांकन जांचा था और तदनुसार भुगतान किया था । यह कहानी है सेठ सवाचंद और सेठ सोमचंद की ।
सेठ सवाचंद वैसे तो उच्च चरित्रवान एवं धैर्यशाली प्रकृति का पुरुष था, मगर मुसीबतों की एक के बाद एक आती टक्करों ने उसे हताश कर दिया था। परिस्थिति इतनी विषम बन गई कि लाखों का स्वामी अपने परिवार का पालन-पोषण तक करने में अशक्त हो गया। इतनी बड़ी विपदा में घिर जाने के बावजूद भी सवाचंद ने अपने चरित्र को कहीं से भी दुर्बल नहीं होने दिया तथा न ही अपनी न्याय-नीति एवं नैतिकता ही त्यागी। जिन-जिन से उसे बकाया राशियां लेनी थी वे इस विपरीत परिस्थिति में उन्हें लौटाने से मुकर गए, किन्तु जिनको सवाचंद से रूपया लेना था, वे सभी तकादा करने लगे। उसने अपने मकान-दुकान तथा चल-अचल सम्पत्ति बेच कर संब की देनदारी चुकाई । उसने किसी का कर्ज बाकी नहीं