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नव-जागरण का बहुआयामी कार्यक्रम
6. वाणी की चरित्रशीलता का गीत :
(तर्ज : जरा सामने तो आओ...) जरा वाणी का महत्त्व समझा लें यह वाणी हमारी पहचान है कैसा अन्तर्मन है आपका, शीय होता इसी से ज्ञान है।
...जरा वाणी... जैसी हो भाषा, वैसे ही भावों की वह दर्पण कहलाती है सुरव उपजाती, दुरव भी बढ़ाती, मान-अपमान भी पाती है जिसको बोलने का विज्ञान है, वही पाता सदा सम्मान है
..... कैसा अन्तर्मन... || 1 ||. अपशब्दों से गिरता है मानव, कभी न ऊँचा उठ पाता अपना अवमूल्यन अपने ही हाथों, कैसी मूर्वता कर जाता गाली देना भयंकर पाप है, इससे होता सदा नुकसान है.
..... .. कैसा अन्तर्मन... ||2|| बिना विवेक के जो बोलता है, वो न कहीं आदर पाए. इज्जत गंवाए, शान भी जाए, पीछे वही फिर पछताए होता वातावरण निर्माण है, शब्द शक्ति बड़ी ही महान है
..कैसा अन्तर्मन... || 3|| याद रखें-यह क्रोध हमारा, सर्व विनाशी बन जाता इस पर नियंत्रण रखकर ही तो मानव ज्ञानी बन पाता आदत अपनी बदल ले सयाने, वरना होना नहीं कल्याण है
.. . कैसा अन्तर्मन..: ||4|| वचन-वचन से दिल जुड़ते हैं, प्रेम परस्पर हो जाता"
गम रवाकर जो नम जाता है वो सबका बल पा जाता ... क्षमा जीवन सुरवद अरमान है, होती 'विजय' सदा बलवान ह
.... .. कैसा अन्तर्मन.... ||5|| अभियान के संविधान की संक्षिप्त रूपरेखा :
संविधान कहिए या नियमोपनियम जिनके बिना किसी भी संगठन या संस्थां का कामकाज सुचारू रूप से नहीं चल सकता-नियमित सुव्यवस्था के लिए यह आवश्यक है। यहां पर चरित्र निर्माण अभियान के संगठन को सुव्यवस्थित रूप से चलाने के लिए मोटे तौर पर कुछ बुनियादी बिन्दु बताए जा रहे हैं जिन्हें संविधान की संक्षिप्त रूपरेखा कहा जा सकता है। यथासमय इसके
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