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नई सकारात्मक छवि उभरनी चाहिए धर्म-सम्प्रदायों की
धर्म व सम्प्रदाय में प्रगतिशीलता की जरूरत
पदाघात-इस जैन कथा का यही शीर्षक ठीक रहेगा। ' पदाघात का अर्थ है-पांवों के टकराने से शरीर पर लगने वाली चोट । दीक्षा लेने के बाद पहली रात में मुनि मेघकुमार को पदाघात का कटु अनुभव हुआ-उससे वे विह्वल हो उठे, बल्कि मन ही मन सोच लिया कि सुबह उठने के बाद वे अपने पात्र आदि भगवान् महावीर को सौंप देंगे और दीक्षा छोड़ कर पुनः अपने राजमहल में चले जाएंगे।
महाराजा श्रेणिक और रानी धारिणी के पुत्र राजकुमार मेघ की कथा गहराई से समझने योग्य है। गर्भ में थे तब रानी को असमय दोहद हुआ कि वे बरसती फुहारों में हाथी पर आरूढ़ होकर बाहर भ्रमण करने जावें। इसी कारण नाम रखा गया-मेघकुमार। किशोरावस्था में ही थे कि भगवान् महावीर की देशना सुनकर विरागी हो गए। देशना समाप्त होते ही भगवान् से अपने चरणों में स्थान देने की उन्होंने प्रार्थना कर दी। भगवान् तो भविष्यवेत्ता थे-क्या होने वाला है, यह सब कुछ जानते थे सो संयत भाषा में ही स्वीकृति दे दी और कहा-'हे देवानुप्रिय! तुम्हें जैसा सुख हो वैसा करो, किन्तु धर्म कार्य में विलम्ब न
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