________________
जब धर्माचरण रुढ़ होता है तो बाधित होता है चरित्र विकास
धर्म की उदारता से चरित्र की व्यापकता
हिन्दू धर्म की यह अतीव ही मार्मिक कथा है। इस
मान्यता में देवताओं की संख्या तैंतीस करोड़ तक। पहुंचती है, किन्तु ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति की महिमा सर्वोपरि है और इस त्रिमूर्ति में भी महेश को महोदव कहा है, जो अधिक सम्मानीय माने जाते हैं। तो यह कथा है इन्हीं महादेव की। महादेव की पहली पत्नी सती थी जिन पर महादेव का अनन्य प्रेम था। यह लम्बी कहानी है कि किस प्रकार सती को अपने पिता और पति के द्वन्द में पति की सम्मान-रक्षा हेत संघर्ष करना पड़ा था और अन्ततः तद् हेतु सती को बलिदान भी देना पड़ा। यहां संबंधित विषय यह है कि सती के विरह में महादेव के मन-मानस पर अभूतपूर्व उन्माद छा गया। वे सती के शव को कंधे पर उठाए-उठाए सर्वत्र विलाप करते हुए घूमने लगे। ब्रह्मा व विष्णु ने उनसे शव छुड़वाने के अनेक प्रयास किए परन्तु सफलता नहीं मिली।
महादेव का व्यक्तित्व असाधारण माना जाता है उनकी अपूर्व विद्या एवं ध्यान साधना आदि के कारण। फिर भी सती के मोह ने उनकी चित्त वृत्तियों को इस प्रकार भ्रमित कर दिया कि उनका सारा ज्ञान और विवेक एक बार तो
299