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________________ रहस्यों, संभावनाओं तथा प्रत्यक्ष उपलब्धियों से भरा है यह संसार! चरित्र निर्माण : क्या, क्यों, कैसे? चरित्र बल के धनी एवं तेजस्वी एक महात्मा एक नगर से दूसरे नगर की ओर पदयात्रा कर रहे थे। मार्ग में उनकी नजर एक मानव समुदाय पर पड़ी जिसमें पुरुषों के सिवाय बच्चे और महिलाएं भी थीं। उनके चेहरे उदास थे और उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। महात्मा यह दृश्य देखकर द्रवित हो गए, पास जाकर उन्होंने उनके कष्ट का कारण पूछा? बताया गया कि उनका पूरा गाँव नदी की तेज बाढ़ में बह गया है। इस कारण वे सब बेघर हो गए हैं। औरतों-बच्चों को लेकर सिर ढंकने की उनके पास कोई जगह नहीं है। उन्होंने महात्मा से विनती कीआप ही हमारे कष्ट-मोचक बनिए।' __ महात्मा ने न जाने क्या सोचा और पलभर में इतना ही कहा-'चलो, सब लोग हमारे साथ चलो।' आगे-आगे महात्मा और पीछे-पीछे सारा समुदाय चल पड़ा। महात्मा ने नगर में प्रवेश किया और कहीं भी बिना रुके वे सबके साथ राजमहल में प्रविष्ट हो गए। उन तेजस्वी पुरुष को रोकने की भला किसमें हिम्मत थी? वे सीधे राज-दरबार में ही चले गए, जहां सिंहासन पर बैठे राजा किसी राजकाज में संलग्न थे। राजा ने महात्मा को खड़े होकर आदर-पूर्वक प्रणाम
SR No.002327
Book TitleSucharitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
PublisherAkhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
Publication Year2009
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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