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28. बृहत्कल्पसूत्र
स्वरूप
| कर्ता
संवत्
|कृति विशेषनाम भाषा गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत प्र.क्र.
| वि. 2061P | अमरमुनिजी उप. कृत (हिं.) अनु. और विवे. का भाषां. * (अं.)
* गद्य * (उ.6) {1478)
वि. 2062P (गु.) * गद्य * (उ. 6) {1531} | वि. 2062 | ‘स्पष्टीकरणयुक्त' * (हिं.) * गद्य * (गाथा 6490) {688}
राजकुमार जैन, कृतिसंशो.-सुरेन्द्र बोथरा
डोलरबाई महासतीजी 862 भाष्यानु. दुलहराजजी मुनि
(14) 863 विवे. (15) |1| तिलोक मुनि 864
2 राजशेखरसूरि 865 सारांश (16) ज्ञानसुंदरजी मुनि 866 शोधग्रंथ महेन्द्र प्रताप सिंह डॉ.
(17)
वि. 2048P | (हिं.) * गद्य * (उ. 6) {1514) वि. 2063 'बृहत्कल्पसारोद्धार' * (गु.) * गद्य * (उ. 6) {691) वि. 1979P | 'संक्षिप्तसार' * (हिं.) * गद्य * (उ. 6) {1424) वि. 2065P 'बृहत्कल्पसूत्रभाष्य : एक सांस्कृतिक अध्ययन' * (हिं.) * गद्य
* अध्याय 81690)
867 मूल (1)
29. जीतकल्पसूत्र (867-875) जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण शक-531# (प्रा.) * पद्य गाथा 103 ग्रं.130 {कयपवयणप्पणामो.
वोच्छं पच्छित्तदाणसंखेवं।...पुणं, पत्ते सुपरिच्छियगुणम्मि।।) {692, 693, 694, 695, 696, 697, 1374, 1391, 1393, 1401, 1510, 1519, 1532%D13}
868 भाष्य (2)
जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण
869 चूर्णि (3)
सिद्धसेन गणि
870 टिप्पण (4)
श्रीचंद्रसूरि
|शक-531# | 'स्वोपज्ञ' * (प्रा.) * पद्य * गाथा 2606 ग्रं.3200 {पवयण
दवालसंगं, सामाइयमाइ...ण ह अण्णो ।।260611) 1695, 697,
1510) सदी 6ठी 'बृहच्चूर्णि' * (प्रा.) * गद्य, पद्य * (गाथा 103) ग्रं.1000
{सिद्धत्थसिद्धसासण सिद्धत्थसुयं सुयं...पयओ परमं परमो
वगारकारिणमहग्घं।।) {694, 1519, 1532) |वि. 1227 'बृहच्चूर्णि विषमपद व्याख्या' * (सं.) * गद्य * (गाथा
103), प्रशस्ति श्लोक-5 ग्रं.1120 {नत्वा श्रीमन्महावीरं स्वपरोपकृति हेतवे।...तावदियं वाच्यतां भव्यैः।} {694,
1532} वि. 2053P (गु.) * गद्य * (गाथा 103) {1463, 1486} वि. 2058P | (हिं.) * गद्य * (गाथा 103) {1474} | वि. 2066P (हिं.) * गद्य * (गाथा 103) {697} वि. 2066P (हिं.) * गद्य * (गाथा 2608) {697)
871
अनु. (5) |1| दीपरत्नसागरजी |872
2 | दीपरत्नसागरजी 873
3| कुसुमप्रज्ञाश्रीजी डॉ. 874 भाष्यानु.
कुसुमप्रज्ञाश्रीजी डॉ. (6) 875 शोधग्रंथ (7) कुसुमप्रज्ञाश्रीजी डॉ.
वि. 2066P
'व्यवहार और प्रायश्चित : एक विमर्श', 'जीत.सूत्र और जीत.भाष्य का शोधग्रंथ' * (हिं.) * गद्य * (गाथा 103) (गाथा 2606) {697}
876
मूल (1)
अज्ञात
30. उत्तराध्ययनसूत्र (876-1019)
वि.सं. पूर्व | (प्रा.) * पद्य, गद्य * अ. 36→सूत्र 1720 ग्रं.2000 (संजोगा दूसरी/
| विप्पमुक्कस्स अणगारस्स...भवसिद्धियसम्मए।।268 ।। त्ति तीसरी
बेमि।।) {698, 699, 700, 701, 702, 703, 704, 705, 706, सदी