SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम कृति परिचय क्र. स्वरूप पे. | कर्ता संवत् | कृति विशेषनाम*भाषा*गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत*प्र.क्र. 555 2 | अमरमुनिजी उपप्रवर्तक वि. 2058P | (हिं.) * गद्य * (वि. 2) {518} 556 3 राजकुमार जैन वि. 2058P | अमरमुनिजी उप. कृत (हिं.) अनु. और विवे. का भाषां. * (अं.) * गद्य * (वि. 2) {518) 557 4| बिंदुबाई साध्वी, रूपलबाई वि. 2060P | (गु.) * गद्य * (वि. 2) {519) साध्वी 558 अर्वा.टीकानु. 1 घासीलालजी महाराज (#) | वि. 2022P | 'स्वोपज्ञ' * (हिं.) * गद्य * (वि. 2) {513} (11) 559 | 2 घासीलालजी महाराज (#) वि. 2022P | 'स्वोपज्ञ' * (गु.) * गद्य * (वि. 2) {512, 513} 560 विवे. (12) दीपरत्नसागरजी वि. 2066P | 'मलय. टीकानुसारी' * (गु.) * गद्य * (वि. 2) {1540) 561 मूल (1) |562 टीका (2) 14. जीवानीवाभिगमसूत्र (561-578) पूर्वाचार्य वीरसदी (प्रा.) * गद्य, पद्य * प्रति.9→उ. 18-सूत्र 272 ग्रं.4750 {इह पहली खलु जिणमयं...इति जीवाजीवाभिगमसुत्तं सम्मत्तं।।) {525, 527, 528, 529, 531, 532, 533, 534, 535, 536, 537, 538, 539, 540, 541, 542, 1373, 1378, 1381, 1393, 1413, 1510322) मलयगिरिसूरि वि. 1150# (सं.) * गद्य * (प्रति.9), प्रशस्ति श्लोक-3 ग्रं.14000 {प्रणमत पदनखतेजः प्रतिहतनिःशेषनम्रजनतिमिरम्।...श्रीमज्जीवाजीवाभिगमाख्यमुपाङ्ग समाप्तिं गतम्।।) {525, 527, 532, 534, 538, 541, 542=7) अज्ञात 'जीवाभिगमसंग्रहणी' * (प्रा.) * पद्य * गाथा 222 (लद्धजयलच्छिसारो, विसमत्थनिवारणो महासत्तो।...जीवा दुहा वुत्ता।।) {1386, 1405,1434} पूर्वाचार्य (गु.) * गद्य * (प्रति. 9) {जे त्रिजु ठाणांगजी......जीवाभिगम संपूर्ण थयु।।} {525} घासीलालजी महाराज (2) | वि. 2027P | (सं.) * गद्य * (प्रति. 9) {529) घासीलालजी महाराज वि. 2027P 'प्रमेयद्योतिका' * (सं.) * गद्य * (प्रति. 9) {वीरं प्रणम्य भावेन...सर्व जीवाभिगमः प्रतिपादितः।) {529) पारसमल चण्डालिया (#) | वि. 2058P | (हिं.) * गद्य * (प्रति. 9) {540) 563 संग्रहणी प्रक. (3) 564 बा.बो. (4) 565 छाया (5) 566 अर्वा. टीका 567 शब्द., अनु., विवे. (7) 568 अनु. (8) 569 1 अमोलकऋषि । 2 | कुंवरजी आणंदजी शाह 570 वि. 1975P | (हिं.) * गद्य * (प्रति. 9) {528} वि. 1997P | जीवाभिगमसंग्रहणी प्रक. का अनु. * (गु.) * गद्य * (गाथा 222) {जयलक्ष्मी (मोक्षलक्ष्मी) ना सारने पामेला, ...स्थावर कह्या. (222)} {1434} वि. 2053P | 'गुर्जर छाया' * (गु.) * गद्य * (प्रति. 9) {1458} वि. 2058P (हिं.) * गद्य * (प्रति. 9) {1471) वि. 2066P | 'विशेष स्पष्टीकरणयुक्त' * (गु.) * गद्य * (प्रति. 9) {1540) वि. 2046P | (हिं.) * गद्य * (प्रति. 9) {531, 539} 3 | दीपरत्नसागरजी दीपरत्नसागरजी 5 | दीपरत्नसागरजी | 1 | राजेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ. 571 572 (9)
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy