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क्र.
| स्वरूप
516 टीका (2)
517 बा.बो. (3)
518 अर्वा. टीका (4)
519 शब्द., अनु., fad. (5)
520 अनु. (6)
521
522
523
524
525
526
527
528 अनु., विवे.
(7)
529
530
533
534 विवे. (9)
पे.
535 मूल (1)
कर्ता
अभयदेवसूरि, कृतिसंशो. द्रोणाचार्य
राजचंद्रसूरि
घासीलालजी महाराज
1 अमोलकऋषि
2 Banarsidas Jain
2
पारसमल चण्डालिया
3 उषाबाई महासती, किरणबाई महासती, सुमतीबाई महासती
3
4 रमेशमुनि
5 K. C. Lalwani
6 दीपरत्नसागरजी
7 दीपरत्नसागरजी
8 दीपरत्नसागरजी
531
4 कल्पनाबाई महासतीजी
532 अर्वा टीकानु. 1 घासीलालजी महाराज (#)
(8)
छगनलालजी शास्त्री डॉ.
अमरमुनिजी उपप्रवर्तक
सुरेन्द्र बोथरा
आगम कृति परिचय
संवत्
fa. 1120#
पूर्वाचार्य
fa. 1667#
fa. 2015P
fa. 2057P
fa. 1974P
fa. 1979P
fa. 2032P
fa. 2044P
fa. 2044P
fa. 2053P
fa. 2058P
fa. 2066P
fa. 2039P
fa. 2059P
fa. 2059P
fa. 2060P वि. 2015P
2 घासीलालजी महाराज (#) वि. 2015P दीपरत्नसागरजी fa. 2066P
वीरसदी पहली
कृति विशेषनाम भाषा. गद्य-पद्य परिमाण आदि अंत-प्र.क्र.
(सं.)* गद्य * (वि. 2), प्रशस्ति श्लोक 3 ग्रं. 3125 ( श्री वर्द्धमानमानम्य, प्रायोऽन्यग्रन्थवीक्षिता ।... श्री औपपातिक. वृत्तिः समाप्तेति । ।} {483, 485, 489, 490,491, 495, 500, 501, 503, 1521=10}
(मा.गु.) * गद्य * (वि. 2) ( श्री शारदायै नमः... पाम्या थका । एतलइ श्रीउववाइटब्बार्थसंपूर्ण |} {483} 'पीयूषवर्षिणी' (सं.) गद्य (वि. 2) (भविजनहितकार ज्ञानविर्तकसारं कृतभवनिधिपारं... भविष्यत्कालं 'चिति' तिष्ठन्तीति ।। सू. 128 ।।} {493}
(हिं.) * गद्य * (वि. 2) (502)
'स्पष्टीकरणयुक्त' * (हिं.) *गद्य * (वि. 2) (486 }
(अं.) * गद्य * (वि. 2 सूत्र 38 गाथा 10-12, सूत्र 39वाँ ) {1548)
(गु.) * गद्य * (वि. 2) {1446 }
(हिं.) *गद्य * (वि. 2) (492) (अं.) *गद्य * (वि. 2) {492 }
(गु.) * गद्य * (वि. 2) {1462}
(हिं.) * गद्य * (वि. 2) {1470 }
29
'विशेष स्पष्टीकरणयुक्त' * (गु.) * गद्य * (वि. 2)
{1539)
(हिं.) *गद्य * (वि. 2) (494)
(हिं.) *गद्य * (वि. 2) {497}
'अमरमुनिजी उप. कृत (हिं.) अनु और विवे. का भाषां (अं.) गद्य * (वि. 2) (497 }
(गु.) * गद्य * (वि. 2) {498 }
'स्वोपज्ञ' * (हिं.) * गद्य * (वि. 2) (493)
'स्वोपज्ञ' (गु.) * गद्य * (वि. 2) (493) 'टीकानुसारी' * (गु.) * गद्य * (वि. 2) {1539 }
13. राजप्रश्नीयसूत्र (535-560)
(प्रा.) * गद्य * वि. 2 सूत्र 47+38 ग्रं. 2100 (ते णं काले.... सुपस्से पसवणा णमो ।} (504, 505, 506, 507,508,509,
510, 513, 514, 515, 516, 517, 518, 519, 520, 521, 522, 523, 524, 1373, 1378, 1381, 1393, 1403, 1413, 1510, 1521=27}