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________________ 4. समवायांगसूत्र क्र. पे. कर्ता संवत् स्वरूप 197 विवे. (14) | कृति विशेषनाम भाषा गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत प्र.क्र. वि. 2066P | ‘टीकानुसारी' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {228 } दीपरत्नसागरजी 198 मूल (1) सुधर्मास्वामीजी 5. भगवतीसूत्र (198-282) वी.सं. पूर्व | (प्रा.) * गद्य, पद्य * श्रु. 1→श. 41→उ. 10+10+......... त्रीश वर्ष । +196-1925-सूत्र 5365 ग्रं.15752 (नमो अरहंताणं वैशाख सुद | नमो...रासीजुम्मसतं एगदिवसेणं उहिस्सिज्जति।।) (230, 231, 233, 234, 236, 237, 239, 240, 246, 250, 265, 268, 272,275,277,279,280,281,282.285.289,293.294, 295,296, 297, 304,305, 306, 307, 308, 310, 312, 316, 1349, 1352, 1377, 1393, 1510, 1544340} 199 चूर्णि (2) जिनदासगणिजी महत्तर वि.733# |200टीका (3) 1 वि. 1128 अभयदेवसूरि, कृतिसंशो.-द्रोणाचार्य 2| हर्षकुल गणि वि. 1583# (प्रा., सं.) * गद्य * (श्रु. 1) Jटक ग्रं.3500 (पुढवी ठिति योगाहण...बतवदेविं पसन्नवाणि पणिवयामि।छि।।...} {285, 300} (सं.) * गद्य * (श्रु. 1), प्रशस्ति श्लोक-16 ग्रं.18616 {सर्वज्ञमीश्वरमनन्तमसडगमग्र्य, सावीयमस्मरमनीशमनीहमिद्धम्। ...इति श्रीभगवतीसूत्रं सम्पूर्णम्।।) {230, 231, 233, 239, 272, 280, 282, 285, 294, 295,307, 308,312, 316, 1544%3D15) 'बीजक' * (सं.) * गद्य * (श्रु. 1) ग्रं.420 {प्रणम्य परया भक्त्या, ...योगविधिः सर्वोऽपि भगवतीसत्कः।।) (264) 'विशेष पद व्याख्या' * (सं.) * गद्य * (श्रु. 1), प्रशस्ति श्लोक-2 ग्रं.12920 (श्रीवीरं नमस्यित्वा तत्त्वावगमाय...प्रसद्य शोध्यं गुरुवद्गुरुधीधनैर्गुरुभिः ।।} {238, 290, 294, 309=4) (सं.) * गद्य * (श्रु. 1) ग्रं.3118 {अथ समस्तप्रत्यवभासनसमर्थाऽचिन्त्यविभूतिकेवलालोकितलोकालोकेन परमगुरुणा... इति भगवत्यवचूर्णी समाप्ता।।} {264} |202 | 3 | दानशेखरसूरि वि. 159723 203 अवचूरि (4) | अज्ञात 204 बा.बो. (5) मेघराज उपाध्याय वि.1655# | (मा.गु.) * गद्य * (श्रु. 1), प्रशस्ति पद्य-3 {देवदेवं जिन नत्वा स्तुत्वा च श्रुतदेवतां। वार्तिकं पंचमांगस्य...एतले भगवती विवाह पन्नत्तीसूत्र पंचमांग पूर्ण थयो।।} {230) | 205 स्तोत्र (6) | विबुधप्रभसूरि वि. 1300 'विवाह प्रज्ञप्ति : 5-अगस्तोत्रम्' * (सं.) * पद्य * गाथा 10 {चतुर्विंशश्रीमज्जिनविततवंशध्वजलते!... परपारं प्रवचना. धिदेव्याः सांनिध्यादनणुगणियोगाख्यतपसः।।10।।} {298 } 206 स्तवन (7) समयसुंदरजी उपाध्याय वि. 16542 |207 सज्झाय (8) 1 मानविजयजी उपाध्याय | | वि. 1731# गति आगति 24 दण्डक विचार स्तवन * (मा.गु.) * पद्य * गाथा 13 {श्री महावीर नमूं...कहै एह विचार।131) {1774) मानविजयजी कृत भगवतीसूत्र के विविध शतक/उद्देशा आधारित सज्झाय * (मा.गु.) * पद्य * सज्झाय 33 {सद्दहणा सूधी मन...प्रतई मानविजय उवज्झाय...विद्या०11711) {298}
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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