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________________ आगम कृति परिचय संवत् क्र. स्वरूप पे. कर्ता कृति विशेषनाम*भाषा*गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत*प्र.क्र. पार्श्वचन्द्रादिसद्गुरून्। समवायांगसूत्रस्य...रिति।। सूत्र टब्बार्थसंख्या 713511) {201} सज्झाय (4) ज्ञानविमलसूरि वि. 17282 (गु.) * पद्य * गाथा 15 {कहुं हवे सबलनी...विधु विमळा रे।चरित्र०।।1511) {1759, 1768, 1792} 179 छाया (5) कनकश्रीजी साध्वी वि. 2040P (सं.) * गद्य * (श्रु. 1) (213} 180 अर्वा. टीका घासीलालजी महाराज वि. 2018 | 'भावबोधिनी' * (सं.) * गद्य * (श्रु. 1), प्रशस्ति श्लोक-9 {स्याद्वादसार्थश्च नयैः प्रमाणैर्जीवादिभावप्रतिबोधको...तथैव त्वां प्रतिब्रवीमि।} {209) 181 शब्द.,अनु., वीरपुत्रजी महाराज वि. 2010 (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {219) विवे. (7) 182 | अनु. (8) |1| अमोलकऋषि वि. 1973P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {श्री श्रमण भगवंत...चतुर्थांग समवायांग समाप्त।।) {202} 183 | जेठालाल हरिभाई शास्त्री, | वि. 1995P (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {हे आयुष्मान् (जंबू) ...हुं कहुं छु.) कृतिसंशो.-कुंवरजी {205} आणंदजी शाह कन्हैयालालजी मुनि वि. 2023P (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) (210} (कमल) 185 फूलचंद्रजी मुनि वि. 2028P (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {1444) (पुष्फभिक्खु) (2) 186 सुमनबाई महासतीजी |वि. 2035P | (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {212} 187 चंद्रप्रभसागरजी | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {215} महोपाध्याय 188 दीपरत्नसागरजी वि. 2053P | ‘गुर्जर छाया' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {हे आयुष्यमान्।..ते कहुं छु.} {1461} 189 8 | दीपरत्नसागरजी वि. 2058P (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {हे आयुष्मन्!...तुम्हें कहा है।) {1468) 190 9 दीपरत्नसागरजी वि. 2066P 'विशेष स्पष्टीकरणयुक्त' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {228} 191 महाप्रज्ञजी आचार्य, वि. 2040P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {213} अर्वा टिप्प. दुलहराजजी मुनि, श्रीचंद्रजी मुनि (कमल) 192 | अनु., विवे. हीरालाल शास्त्री वि. 2039P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {हे आयुष्मन्!...तुम्हें कहा है।) {222} 184 अनु.. (9) (10) 193 अनु., विवे., वनिताबाई महासतीजी |वि. 2054P | (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) (220) सारांश (11) (विनय) 194 टीकानु. जेठालाल हरिभाई शास्त्री, | वि. 1995P | (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) (205) (12) कृतिसंशो.-कुंवरजी आणंदजी शाह 195 अर्वा.टीकानु. 1 घासीलालजी महाराज वि. 2018 | "स्वोपज्ञ' * (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {209) (13) 196 2 घासीलालजी महाराज वि. 2018P | 'स्वोपज्ञ' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {208, 209}
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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