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आगम कृति परिचय
क्र.
स्वरूप पे. कर्ता
संवत् कृति विशेषनाम भाषा गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत प्र.क्र. 208 | 2 | मानविजयजी उपाध्याय वि. 1731# | बारह व्रत की सज्याय * (मा.ग.) * पद्य * ढाल 5/ सर्वगाथा
56 {श्री जिनवीर वदई...मान कहइ हितकार...
परिणत०115611) {1784) 209 3 ज्ञानविमलसूरि वि. 17282 (गु.) * पद्य * गाथा 24 {आवो आवो सयणा...करी सहु
पभणे...आवो०112411) {298, 1747, 1759, 1784,
179235} 210 | नित्यविजयजी
वि. 1734# (मा.गु.) * पद्य * गाथा 11 {चोवीसमा श्री वीर...भगवती.
सूत्राभिधान सूचक स्वाध्याय।।5।।} {298} |5| विनयविजयजी उपाध्याय | वि. 1738 (गु.) * पद्य * गाथा 21 {वंदि प्रणमी प्रेमशं...विनयविजय
उवज्झाय रे।।भ०112111) {298, 1748, 1750, 1751, 1769,
1784%D6) 212 | 6 | देवचंद्रजी उपाध्याय वि. 17672 (गु.) * पद्य * गाथा 8 {श्री सोहम जंबुने...रे.. तेह रे श्री
सोहम०11811) (298, 1779, 1784) 213 | 7 | जिनविजयजी गणि वि. 17702 (गु.) * पद्य * गाथा 13 {धन्य कुंवर त्रिशला...गुरु साहाय्य हो...
ज्ञान०111311} {298, 1784) | 8 लक्ष्मीसूरि
वि. 1827# (गु.) * पद्य * गाथा 13 {त्रिशलानंदन त्रिजगवंदन, प्रणमी...
| सुखदाइ...भवि! तुमे०111311} {298,1784) 215 गहुँली (9) 1 दीपविजयजी
वि. 1900# (गु.) * पद्य * गाथा 7 {सहियर सुणिये रे, ...मंगल कोटी
वधाई।} {298, 1752, 1762} 216 2 | वीरविजयजी पंन्यास वि. 185323 जयंति श्राविका संबंधित गहुँली * (गु.) * पद्य - गाथा 9
{चोवीशमा जिनराय नयरी...देशो मुज कदा।।9।।}
{1752) 217 गीत (10) समयसुंदरजी उपाध्याय वि. 1654# उदयन राजर्षि गीत * (मा.गु.) * पद्य * ढाल 2 / सर्वगाथा 20
{सिंधु सोवीरइ वीतभउ...पामीजइ भवपार, मुनिवर।।2011)
{1774} 218 जोड (11) |1| जयाचार्य
वि. 1879 नियंठा की जोड * (राज.) * पद्य * ढाल 4 / सर्वगाथा 118
{अनंत चोबीसी हूं...कीधी सहर पीपाड।।2411} {299) 219 | 2 | जयाचार्य
वि. 1879 संजया की जोड * (राज.) * पद्य * ढाल 3 / सर्वगाथा 63
{संजया भगवंत किणविध...शहर पीपाड रे।।1511) {299) 220 3 | जयाचार्य
वि. 1924 (राज.) * पद्य * ढाल 501-→गाथा 22254 ग्रं.60906 {ॐ पंच
परमेष्ठि...तो, मिच्छामिदुक्कडं मोय।।} {299)
214
221
चोपाई (12) |
भिक्षु आचार्य
वि. 1846
| गोसाला की चोपाई * (राज.) * पद्य * ढाल 41 / सर्वगाथा 885 {अरिहंत सिद्ध ने...जिणेसर भाखियो ए।।) (299)
मेघविजयजी
वि. 1966
222 चौढालिया
(13)
| भगवतीसूत्र वाचना वर्णन * (गु.) * पद्य * ढाल 4/ सर्वगाथा 71, कळश गाथा-1 {वंदु विश्वंभर विभु, ...शिष्य मेघविजय मुदा।।111) (235} | (सं.) * गद्य * (श्रु. 1) {230} (सं.) * गद्य * (श्रु.1→श.6) {233, 280}
223 छाया (14) | 1 रामचंद्र गणि
2 बेचरदास जीवराज दोशी
पंडित
वि. 1860# वि. 1974
224