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________________ आगम कृति परिचय क्र. । स्वरूप पे. कर्ता संवत् 142 2 | मूलचंदजी ऋषि वि. 1885 कृति विशेषनाम*भाषा*गद्य-पद्य परिमाण*आदि-अंतप्र.क्र. दीवानी सज्झाय * (गु.) * पद्य * ढाल 2। सर्वगाथा 17 {दश धारो दीवो...तो दीवातणी सज्झाय।।13।1) {1784} 143 गीत (5) |1| समयसुंदरजी उपाध्याय वि. 1654# | कर्म निर्जरा गीत * (मा.गु.) * पद्य * गाथा 5 त्रूटक {कर्म तणी कही...ने, समयसुन्दर वखाणे।क०।5।} {1774} | 2 | समयसुंदरजी उपाध्याय वि. 1654# तुर्य वीसामा गीत * (मा.गु.) * पद्य * गा. (द्वा.प.) 2 त्रूटक {भार वाहक नइ...ठाणइ, समयसुन्दर सदह्या।।2।।) {1774} 145 छाया (6) 1 आत्मारामजी आचार्य |वि. 2001 | (सं.) * गद्य, पद्य * (श्रु. 1) {178, 193} 146 2 घासीलालजी महाराज (#) | वि. 2022P | (सं.) * गद्य, पद्य * (श्रु. 1) {173} 147 3 | महाप्रज्ञजी आचार्य वि. 2033P | (सं.) * गद्य, पद्य * (श्रु. 1) {179) 148 अर्वा. टीका घासीलालजी महाराज | वि. 2007 | 'सुधा टीका' * (सं.) * गद्य * (श्रु. 1), प्रशस्ति श्लोक-5 (7) {शिवमरुजममन्दं प्राप्तमानन्दकन्दं, दलितदुरितकन्दं... सुधाख्या व्याख्या समाप्ता।।) {173} | 149 शब्द., अनु. 1 अमोलकऋषि वि. 1973P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {आयुष्मन् जम्बू।...भी समाप्त हुवा।) (8) {164} 150 2 | जीवराज घेलाभाई दोशी | वि. 1987P (गु.) * गद्य * (श्रु. 1→अ. 2, अ. 3→उ. 1) (सुधर्मास्वामी डॉ. पोताना जंबू...त्रण तिर्थ जाणवा.} {166} | 151 शब्द., अनु, |1| आत्मारामजी आचार्य वि. 2001 (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {हे आयुष्मन् शिष्य...किये गए हैं। |विवे. (9) {178, 193} 152 | 2 | वीरपुत्रजी वि. 2058P (हिं.) * गद्य * (श्रु.1→अ. 5-10) {190} महाराज 153 अनु. (10) |1| देवचंद्रजी उपाध्याय वि. 1999P (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) (हे आयुष्मन् शिष्य...अनंता कहेला छे.) {168, 197} 154 2 | फूलचंद्रजी मुनि वि. 2028P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {श्री सुधर्मास्वामी जम्बू...कहे गए हैं।।) (पुष्फभिक्खु (#) {1444} 155 | कन्हैयालालजी मुनि वि. 2028P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {175} (कमल) 156 राजुल साध्वी वि. 2038P (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {आयुष्यमान् शिष्य।...पुद्गलो अनंत छे.} {181) 157 5 | दीपरत्नसागरजी वि. 2053P | 'गुर्जर छाया' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {आयुष्यमान् शिष्य।... पुद्गलो अनंत छे.} {1461) 158 6 दीपरत्नसागरजी वि. 2058P (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {हे आयुष्मन् शिष्य...पुद्गल अनन्त हैं।) {1468} दीपरत्नसागरजी वि. 2066P 'विशेष स्पष्टीकरणयुक्त' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {हे आयुष्य मान्!...अनंता कह्या छे.} {199) 160 अनु., | दलसुखभाई मालवणिया |वि. 2011P | 'स्था.सूत्र और सम.सूत्र का तुलनात्मक अनु. और टिप्पण' * अर्वा,टिप्प. पंडित (गु.) * गद्य * (श्रु. 1)→खंड 7 {1438} जामुन - 1 (11)
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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