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________________ क्र. 126 127 129 130 fad. (23) 131 प्रव. (24) 132 स्वरूप 133 134 135 शोधग्रंथ (25) 128 अर्वा. टीकानु. 1 घासीलालजी महाराज (#) वि. 2025P (22) 136 मूल (1) 137 टीका (2) 138 139 140 बा.बो. (3) पे. कर्ता 2 अंबिकादत्तजी ओझा 3 141 सज्झाय (4) भीखालाल गिरधरलाल शेठ 2 सागरानंदसूर 3 प्राणकुंवरबाई साध्वी 4 कीर्तियशसूरि नीलांजना साध्वी डॉ. 2 घासीलालजी महाराज (#) वि. 2025P दीपरत्नसागरजी fa. 2066P 1 सागरानंदरि वि. सुधर्मास्वामीजी 1 अभयदेवसूरि, कृतिसंशो. द्रोणाचार्य 2 नगर्विगणि कृतिसंशो. विमलहर्ष उपाध्याय 2. सूत्रकृतांगसूत्र संवत् fa. 1993P fa. 2023P मेघराज उपाध्याय 1 देवचंद्रजी उपाध्याय 1995 fa. 2000 fa. 2054 fa. 2058 fa. 2061 fa. 1120 संक.. सुमतिकल्लोलगणि, वि. 1705 हर्षनंदन गणि fa. 1657 3. स्थानांगसूत्र (136-174) बी.सं. पूर्व त्रीश वर्ष वैशाख सुद 11 fa. 1655# कृति विशेषनाम भाषा गद्य-पद्य परिमाण आदि अंत प्र.क्र. 'शीलांकी टीकानु' * (हिं.) *गद्य* (श्रु. 1) (106, 162} 'शीलांकी टीकानु' * (गु.) *गद्य * (श्रु. 1) (115} 'स्वोपज्ञ' * (हिं.) *गद्य* (श्रु. 2) (118) 'स्वोपज्ञ' * (गु.) * गद्य * (श्रु.2) 118, 119 } 'शीलांकी टीकानुसारी' * (गु.) * गद्य* (श्रु. 2) {156 } पुंडरिक अध्ययन के प्रव. * (गु.) *गद्य * (श्रु. 2→अ. 1) प्रव. 62 (110} fa. 1767# आचारश्रुत अध्ययन के प्रव. * (गु.)* गद्य * (श्रु. 2अ. 5वाँ ) प्रव. 5 (117) (गु.) *गद्य * (श्रु. 1 अ. 2. 1) प्रव. 101 (136) (गु.) * गद्य (श्रु. 1 अ. 1) प्रव. 33 148} सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन * (हिं.) * गद्य * अध्याय 7 {144} (प्रा.) *गद्य, पद्य * श्रु. 1 अ. 103 21 सूत्र 783 ग्रं. 3600 {सुयं मे आउसं... समत्तं च ठाणमिति । ।) ( 163, 164, 165, 166, 167, 168, 171, 173, 175, 176, 177, 178, 179, 180, 181, 182, 183, 186, 187, 188, 189, 190, 192, 193, 194, 195, 196, 197, 198, 200, 1349, 1367, 1377, 1380, 1382, 1393, 1408, 1510, 1511=39) (सं.) गद्य (1) प्रशस्ति श्लोक-8 पं. 14250 श्रीवीरं जिननार्थ... सपादानि सहखाणि चतुर्दश1) (163, 165, 167, 182, 186, 188, 192, 196, 198, 200, 1511=11} 'दीपिका' * (सं.) * गद्य * (श्रु.1 अं. 4) {प्रणत सुरासुरनाथं, सुनाथमभिगम्य वीरजिननाथम् ।... दीपिकायां चतुः स्थानकाख्यं चतुर्थमध्ययनं समाप्तम्।।) (176) 'गाथाविवरण', 'अभव. टीका में उद्धृत साक्षीपाठों की टीका का संकलन' (सं.) गद्य (श्र. 1अ.3) स्वस्ति श्रीवृत्तिमन्तं सहदयहृदयस्वर्णपात्रोपविष्टं लोकालोक- प्रकाशप्रकटितपटुता. केवलज्ञानतैलम् ।... तृतीयस्थानटीकालिखितगाथाविवरणं सम्पूर्णम्) (192) 'भाषाटीका' * (मा.गु.) * गद्य * (श्रु. 1) श्रीमद्वीरजिनं नत्वा । श्रीगुरुं च मुदा सदा स्थानांगाभिधसूत्रस्य ।... दशमूं ठाणं समाप्त |} (163 } आठ रुचि सज्झाय * (गु.) * पद्य * ढाल 1 / सर्वगाथा 14 { सुरपति नत देव... परम निहाल रे।।12।।} {1763, 1779}
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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