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आगम कृति परिचय
क्र. स्वरूप
अनु. (17)
105 106
107
108
पे. कर्ता
संवत्
| कृति विशेषनाम*भाषा*गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंतप्र.क्र. 1 Hermann Jacobi
वि. 1951P | (अं.) * गद्य * (श्रु. 2) {145, 1442, 1454, 1548=4) 2 | त्रिभोवनदास रुगनाथदास | वि. 1961# | (गु.) * गद्य * (श्रु. 1) {102} 3 Walther Schubring | वि. 1982P | (जर्मन) * गद्य * (श्रु. 1→अ. 4, 12वाँ; श्रु. 2→अ. 2)
{1425} 4 | गोपालदास जीवाभाई | वि. 1992P | 'महावीरस्वामीनो संयमधर्म' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {151)
पटेल अज्ञात
वि. 1994P | गोपालदास जीवाभाई पटेल के (गु.) अनु. का भाषां. * (हिं.) *
गद्य * (श्रु. 2) {107} 6| राहुल सांकृत्यायन वि. 2018P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 2) {बूझे, खूब जानकर...यह कहता हूं।।)
{114,1444) 7 | भीखालाल गिरधरलाल शेठ वि. 2023P | (गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {115} 8| प्राणकुंवरबाई साध्वी, वि. 2031P (गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {120}
उषाबाई महासती | डुंगरशी मुनि (2) वि. 2032P 'टिप्पणयुक्त' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {121a}
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113
114
10 ललितप्रभसागरजी उपाध्याय वि. 2046P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 1) {126} 11 दीपरत्नसागरजी | वि. 2053P | गुर्जर छाया * (गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {मनुष्ये बोध प्राप्त...हुं कहुं
छु.} {1461} 12 दीपरत्नसागरजी वि. 2058P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 2) {1467} | कांतिलाल खेमचंद वि. 2060P | (अं.) * गद्य * (श्रु. 1) {141)
कापडिया डॉ. Willem B. Bollee
वि. 2060P | Walther schubring कृत (ज.) अनु. का भाषां. * (अं.) * गद्य Prof., J. Soni Dr.
* (श्रु.1→अ.4,12वाँ; श्रु. 2→अ. 2) {1477}
117
वि. 2061P
| (गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {142}
कांतिलाल खेमचंद
कापडिया डॉ. 16 | दीपरत्नसागरजी 1 | महाप्रज्ञजी आचार्य
119
वि. 2066P 'विशेष स्पष्टीकरणयुक्त' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {156} वि. 2042P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 2) {147)
120
अनु., अर्वा.टिप्प. (18)
121
रश्मिभाई जेठालाल
झवेरी डॉ. 1 श्रीचंद सुराणा
वि. 2059P | महाप्रज्ञजी आचार्य कृत (हिं.) अनु. और टिप्पण का भाषां. *
(गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {140} | वि. 2038P | (हिं.) * गद्य * (श्रु. 2) {मनुष्य को बोध...मैं कहता हूँ।} {133)
122 अनु, विवे.
(19)
123
राजेन्द्रसूरि | दुलहराजजी मुनि
वि. 2054 | (गु.) * गद्य * (श्रु. 2) {132} वि. 2056P | (हिं.) * गद्य * (गाथा 206) {1525}
124 नियुक्तिअनु.
(20) 125 टीकानु.
(21)
1 माणेक मुनि
वि. 1987
'शीलांकी टीकानु.' * (गु.) * गद्य * (श्रु. 2), प्रशस्ति पद्य 2 {103, 105}