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79. आगम सूक्तसंग्रह
क्र.
संक.,
प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक (ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
सूक्त-108} {गु.) (2) 1716 आचारांग-चयनिका {आचा.सूत्र का प्राकृत भारती अकादमी संपा.-कमलचंद सोगानी डॉ. 2054 (4) 200 (D)
कमलचंद सोगानी डॉ. कृत अंशसंग्रह {पुष्प 23} (हिं.) अनु. युक्त) (दे.ना.} [T] {2} अभिधान राजेन्द्र कोष में, मदनराजजी जैन लेखक, संपा.-प्रियदर्शनाश्रीजी. 2055 (1) |192+188+
196...%3D1586
सुदर्शनाश्रीजी सूक्ति-सुधारस {अभिधान राजेन्द्र
(D) कोषगत सूक्तसंग्रह (हिं.) सार्थ विषयनिर्देश और स्थाननिर्देशयुक्त)
|भाग 1-7 {दे.ना.} [T] {2} 1718 जैनागमसूक्तिप्रकाशः [आगम सुशील साहित्य प्रकाशन पद्य.वाद.-सुशीलसूरि, 2055 (1) 132 (D)
सूक्तियों का हिन्दी पद्यानुवाद] {आगम समिति (नेमि लावण्य दक्ष संपा.-जिनोत्तमसूरि के सूक्त सह (हिं.) पद्यानु,
सुशील ग्रंथमाला 112} स्थाननिर्देशयुक्त} {दे.ना.} {#} 1719 आचारांगनुं अमृत {आचा.सूत्र का सन्मार्ग प्रकाशन
2057 (अ.) 64(E), कीर्तियशसूरिजी कृत अंशसंग्रह (गु.)
संपा.-निर्मलदर्शनविजयजी, अनु.युक्त [श्रु.1]} {गु., दे.ना.} {#}
रत्नयशविजयजी,
मंगलयशविजयजी आगमीयसुक्तावल्यादि (1. जिनशासन आराधना पूर्व संपा.-कंचनविजयजी, 2058 98 (P) आगामीयसुक्तावलि 2. सुभाषित 3. ट्रस्ट, (P) जैन पुस्तक क्षेमंकरसागरजी (2) (पु.मु.) संग्रहश्लोक 4. लोकोक्तयः) । प्रचारक संस्था {आगमगत सूक्तसंग्रह, सुभाषित, लोकोक्ति आदि स्थाननिर्देशयुक्त
{दे.ना.} {#} 1721 आचारांग पंचामृत {आचा.सूत्र का श्रुत ज्ञान प्रसारण निधि संपा.-देवरत्नसागरजी (#) 2058 (अ.) |72 (C)
देवरत्नसागरजी कृत (गु.) सारांश प्रकाशन
[श्रु.1→अ.4]} {गु.) {#} 1722 जैन शास्त्रोना चूंटेला श्लोको (अर्थ कमल प्रकाशन ट्रस्ट, संक.चंद्रशेखरविजयजी 2059(1) 1192+176%3D सहित) {उत्त.सूत्र, दश.सूत्र, षोडशक अमदावाद
पंन्यास, संग्रा.-गुणहंसविजयजी
368 (D) आदिगत वैराग्यवर्धक सूक्तसंग्रह (गु.) अनु.युक्त भाग 1-2} भाग 1-2
{गु., दे.ना.} {2} 1723 पिंडनियुक्ति पराग {पिंड.सूत्र एवं सन्मार्ग प्रकाशन संपा.-कीर्तियशसूरि, पूर्व । |2061(2) 238 (C) पिंडविशुद्धि का नित्यानंदविजयजी पं.
संपा.-नित्यानंदविजयजी पं. कृत अंशसंग्रह (गु.) विवे.युक्त)
{गु., दे.ना.} [T] {1184} 1724 चन्द्रयश स्वाध्याय (उत्त.सूत्र का कांदीवली मुनिसुव्रतस्वामी संक.-भव्यगुणाश्रीजी (रम्यरेणु) 2062 (अ.) 180 (D)
भव्यगुणाश्रीजी कृत सूक्तसंग्रह (गु.) श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन अनु.युक्त (सूक्त-350)} भाग 4 संघ
{गु.} {#} 1725 चंद्रयश स्वाध्याय {आचा.सूत्र (श्रु.1) शाहीबाग गीरधरनगर जैन संक.-भव्यगुणाश्रीजी (रम्यरेणु 2062 (अ.) 72 (D)
का अंशसंग्रह (गु.) अनु.युक्त} भाग 5 श्वे. मू.पू. संघ {गु.) {2}