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में प्राप्त (प्रा.)/(सं.) शास्त्रपाठ, उनके स्थाननिर्देश सहित दिए गए हैं, एवं परिशिष्ट में कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्रसूरि रचित 'देशीनाममाला' ग्रंथ के देशीशब्दों का (सं.) शब्दार्थात्मक कोश है । → उदा. A प्रस्तुत उदाहरण की स्पष्टता :- आचारांगसूत्र पर एक ही चूर्णि (कर्ता :- जिनदासगणिजी
महत्तर; भाषा :- प्रा., सं.) प्रकाशित है, अतः यहाँ कृति के कर्ता या भाषा का निर्देश नहीं किया गया है, एवं प्रस्तुत उदा. में कृति पूर्ण रूप से (दोनों श्रुतस्कंध) प्रकाशित होने से कृति का परिमाण भी नहीं दर्शाया गया है ।
र प्रकाशन लिपि :→ प्रकाशन में उपयुक्त मुख्य लिपियाँ प्रकाशन परिचायक नाम के पश्चात् कोष्ठक { } में दी गई हैं । लिपियाँ दर्शाने के लिए उपयुक्त संकेतों की स्पष्टता 'संकेतसूची' में दी गई है।
विशेषता :→ लिपि के पश्चात् टिप्पणयुक्त प्रकाशनों के लिए 'T' की संज्ञा एवं हस्तप्रत आदि के आधार से संशोधित
ग्रंथों या अन्य संशोधनात्मक प्रकाशनों के लिए 's' की संज्ञा दर्शायी गई है । → यह दोनों संज्ञा संलग्न प्रकाशनों में कोष्ठक [] में दर्शायी गई हैं ।
र कृति क्रमांक :→ प्रकाशन नाम की कोलम में सबसे अंत में प्रकाशन अंतर्गत प्रकाशित कृतियों के क्रमांक कोष्ठक { } में बताए गए हैं, जिससे उन सर्व कृतियों की संपूर्ण जानकारी यहाँ दिए गए कृति क्रमांकों के माध्यम
से उपलब्ध हो सकती है । → इन कृति क्रमांकानुसार उपलब्ध कृति परिचयों में परिमाण पूर्ण रूप से दर्शाया गया है, किन्तु जिस
प्रकाशन अंतर्गत कृतियों का अपूर्ण रूप से प्रकाशन हुआ है, ऐसे प्रकाशनों के परिचायक नाम अंतर्गत ही अपूर्ण परिमाण संबंधित जानकारी दी गई है । → शब्दकोश आदि कुछ प्रकाशनों के लिए स्वतंत्र कृति नहीं दी गई है, अतः ऐसे प्रकाशनों में कृति क्रमांक
के स्थान पर '#}' की संज्ञा दी गई है । और ऐसे '{#}' संज्ञावाले प्रकाशनों के क्रमांक 'परिशिष्ट 4' में दिये गये हैं।
7 प्रकाशक :→ प्रकाशित पुस्तक/प्रत के प्रकाशक का नाम यहाँ दिया गया है । → प्रकाशन अंतर्गत अगर पूर्व प्रकाशक का नामोल्लेख हो, तो पूर्व प्रकाशक का नाम भी यहाँ (P) की
संज्ञा से दिया गया है ।। → प्रकाशक नाम के पश्चात् अंत में कोष्ठक {} में ग्रंथमाला का नाम ग्रंथांक सहित दिया गया है । यहाँ विशेषता यह है कि ग्रंथमाला के नाम अंतर्गत प्रकाशक नाम से मिले-झुले शब्दों का पुनरोच्चार नहीं किया गया । एकाधिक भागवाले प्रकाशनों में सिर्फ प्रथम भाग का ग्रंथांक दिया गया है । → विशेष स्पष्टता उदाहरण के द्वारा दी गई है। उदा. - प्रस्तुत उदाहरण में प्रकाशक :- आगमोद्धारक श्रुतसेवा समिति, पूर्वप्रकाशक :- आगमोदय समिति, ग्रंथमाला :- आगमोद्धार श्रुतसेवा समिति श्रेणी और ग्रंथांक :- 20 हैं ।