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________________ आगम प्रकाशन परिचय 229 वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2057 (1) 159 (E) 2057 (1) 177 (E) | 2057 (1) 147 (E) प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला} संपादक, संशोधक आदि 11 प्रकी.सूत्र मूल (कुल 13 सूत्र)} संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि भाग 22-33(दे.ना.) [s] (722, 745, 1186,1209, 1228, 1235, 1243,1254,1262,1266,1271, 1477, 1494) 1400 अभ्युदय आगम सुत्ताणि रत्नसागर प्रकाशन निधि |संयो..जितरत्नसागरसूरि, {निशीथसूत्र, बृ.क.सूत्र, व्यव.सूत्र संशो.-दीपरत्नसागरजी, और दशाश्रु.सूत्र मूल) भाग 34-37 संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि {दे.ना.} {768, 793,817, | 840) अभ्युदय आगम सुत्ताणि {जीत.सूत्र, रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो.-जितरत्नसागरसूरि, पंच.भाष्य मूल) भाग 38 {दे.ना.} संशो.-दीपरत्नसागरजी, {867, 1442} संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि 1402 अभ्युदय आगम सुत्ताणि {उ.द.सूत्र, रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो.-जितरत्नसागरसूरि, अं.द.सूत्र, अनु.द.सूत्र और प्रश्न.सूत्र संशो.-दीपरत्नसागरजी, मूल) भाग 7-10 {दे.ना.} {324, 371, संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि 416, 451} 1403 अभ्युदय आगम सुत्ताणि (वि.सूत्र, रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो.-जितरत्नसागरसूरि, औप.सूत्र और राज.सूत्र मूल} संशो.-दीपरत्नसागरजी, भाग 11-13 (दे.ना.} {481, 515, संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि 535} | 1404|चउछेयसुत्ताई (व्यव.सूत्र, बृ.क.सूत्र, अखिल भारतीय सुधर्म | संपा.-रतनलाल डोशी, | निशीथसूत्र और दशाश्रु.सूत्र मूल} जैन संस्कृति रक्षक संघ जैन संस्कृति रक्षक संघ पारसमल चण्डालिया पारसमल {दे.ना.} [T] {768, 793, 817, {रत्न 105) 840) 1405 शास्त्रसंदेशमाला (आगमिकानि शास्त्रसंदेशमाला संक.-विनयरक्षितविजयजी प्रकीर्णकानि तथा प्रकरणानि) {द्वीप.संग्र.गाथा, चन्द्रा.प्रकी.सूत्र मूल आदि) भाग 15 {दे.ना., गु.} {563, 1254, 1278, 1457, 1491, 1499, 1505,1517, 1520, 1521) 2057 (1) 155 (E) 2059 (1) 208 (D) 2061 (1) 346 (D) 2062 (अ.) 256 (C) 2062 (अ.) 350 (c) 1406 सुत्तागमे (गुजराती) छेदसूत्र जैनागम नवनीत प्रकाशन संपा.-तिलोक मुनि {दशाश्रु.सूत्र, बृ.क.सूत्र, व्यव.सूत्र, समिति निशीथसूत्र और अनु.सूत्र मूल} भाग 8 {गु.} {768, 793, 817, 840, 1329} 1407 सुत्तागमे (ज्ञातादि अंगसूत्र) (गुजराती) जैनागम नवनीत प्रकाशन संपा.-तिलोक मुनि {ज्ञाता.सूत्र, उ.द.सूत्र, अंद.सूत्र, समिति प्रश्न.सूत्र और वि.सूत्र (श्रु.1) मूल) भाग4 {गु.} {283, 324, 371, 451, 481} 1408 सुत्तागमे (गुजराती) चार अंग सूत्र जैनागम नवनीत प्रकाशन | संपा.-तिलोक मुनि (आचारांग सूत्र, सूयगडांग सूत्र, ठाणांग समिति सूत्र अने समवायांग सूत्र) 2062 (अ.) 384 (C)
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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