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68. आगम (एकाधिक मूलसूत्र)
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय
प्रकाशक {ग्रंथमाला)
संपादक, संशोधक आदि
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
2055 (अ.) 1818 (B)
2057 (2)
1274 (B)
(श्रु.दूसरा), दश.सूत्र (अ.4), उत्त.सूत्र मल आदि) {दे.ना.) {481,876,
1020} 1393 आगमगुणमञ्जूषा (सचित्र) | जिन गोयम गुण सर्वोदय संपा.-गुणसागरसूरि
{आचा.सूत्र आदि 45 आगमसूत्र मूल, पिंड.सूत्र और ओ.नि.सूत्र का भाष्य} {दे.ना., गु., रो.} [] {1, 78, 136, 175, 198,283,324, 371,416,451,481,515, 535, 561,579,611,623,641,647, 672,697,722, 745,768, 786, 793,817,840,867,876, 1020, 1116, 1167, 1168, 1186, 1228, 1235, 1243, 1254, 1262, 1266, 1271, 1283, 1284, 1285,1329, 1359, 1442, 1444,1445, 1477,
1494, 1517, 1520, 1521) 1394 नवसुत्ताणि 5 [NAVA SUTTANIV] जैन विश्व भारती संपा.-महाप्रज्ञजी आचार्य
| {आव.सूत्र, दश.सूत्र, उत्त.सूत्र, नंदीसूत्र, योगनंदी, अनुज्ञानंदी, कल्पसूत्र, अनु.सूत्र, दशाश्रु.सूत्र, बृ.क.सूत्र, व्यव.सूत्र और निशीथसूत्र मूल आदि 12) (दे.ना.,रो.) [T,S] {768, 793, 817,840, 876, 1020, 1116, 1283,
1284, 1285, 1329, 1359) 1395 अभ्युदय आगम सुत्ताणि {आव.सूत्र, रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो.-जितरत्नसागरसूरि, ओ.नि.सूत्र सभाष्य, पिंड.सूत्र
संशो.-दीपरत्नसागरजी, सभाष्य और दश.सूत्र मूल}
संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि भाग 40-42 {दे.ना.}{1020, 1116,
1167, 1168,1444,1445} 1396 अभ्युदय आगम सुत्ताणि [नंदीसुत्तं, रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो.-जितरत्नसागरसूरि, अनुओगदाराइं] {नंदीसूत्र, ल.नं.सूत्र,
संशो.-दीपरत्नसागरजी, यो.नं.सूत्र और अनु.सूत्र मूल} भाग
संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि 44-45 {दे.ना.}{1283, 1284,
1285, 1329) 1397 अभ्युदय आगम सुत्ताणि {सूर्य.सूत्र, रत्नसागर प्रकाशन निधि |संयो.-जितरत्नसागरसूरि, चंद्र.सूत्र मूल) भाग 16-17 {दे.ना.}
संशो.-दीपरत्नसागरजी, 1611,641)
संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि 1398 अभ्युदय आगम सुत्ताणि (जंबू.सूत्र, रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो.-जितरत्नसागरसूरि, निर.सूत्र, कल्पाव.सूत्र और
संशो.-दीपरत्नसागरजी, पुष्पिकासूत्र मूल) भाग 18-21
संपा.-चंद्ररत्नसागरसूरि {दे.ना.) {623,647, 672,
697) 1399 अभ्युदय आगम सुत्ताणि {पुष्प.सूत्र, रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो.-जितरत्नसागरसूरि, वृष्णि.सूत्र और चतुः प्रकी.सूत्र आदि
संशो.-दीपरत्नसागरजी,
2057 (1)
167 (E)
2057 (1)
99 (E)
2057 (1)
145 (E)
2057 (1)
159 (E)
2057 (1)
167 (E)