SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 273
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 226 क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय भाष्य कर्मग्रंथ आदि (गु.) [T] {1020, 1186, 1209, 1513} 1377 अंगपविट्ठ सुत्ताणि ( आचा. सूत्र आदि 11 अंगसूत्र मूल | दे.ना. (1,78, 136, 175, 198, 283, 324, 371, 416, 451, 481} 1378 अनंगपविट्ठ सुत्ताणि 12 (48) उपांगसूत्र, 4 छेदसूत्र, 4 मूलसूत्र, आव. सूत्र और कल्पसूत्र (कुल 22 सूत्र) मूल} भाग 1-2 (दे. ना.) {515, 535, 561, 579, 611, 623, 641, 647, 672, 697, 722, 745, 768, 793, 817, 840, 876, 1020, 1116, 1283, 1329, 1359) 1379 पण्णयसुत्ताई । चतुः प्रकी. सूत्र, ज्योति सूत्र, ऋ. भा. प्रकी. सूत्र आदि प्रकी. सूत्र) भाग 1-2 (दे.ना., गु.. रो} [T, S], [1186, 1209, 1228, 1235, 1243, 1254, 1262, 1266, 1271, 1278, 1457, 1460, 1461, 1462, 1477, 1491, 1494, 1498, 1499, 1505, 1517, 1520, 1521} 1380 ठाणंगसुतं समवायंगसुतं च (स्थानाङ्गसूत्रं समवायाङ्गसूत्रं च) [THANAMGSUTTAM AND SAMAVAYAMGASUTTAM] {स्था. सूत्र और समसूत्र मूल } [दे. ना. गु. रो.) [TS] {136, 175) ". 68. आगम (एकाधिक मूलसूत्र) [AYARO, SUYAGADO, THANAM, SAMAVAO] [आचा. सूत्र, सू. कृ. सूत्र, स्था. सूत्र और समसूत्र मूल) भाग 1 (दे.ना. रो.) [TS) (1,78, 136, 175) | प्रकाशक (ग्रंथमाला } 1383 अंगसुत्ताणि [ANGA SUTTANI] अखिल भारतीय सुधर्म | जैन संस्कृति रक्षक संघ {रत्न 64 } अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ | महावीर जैन विद्यालय { जैन आगम ग्रंथमाला . 17 (1)} 1381 उवंगसुत्ताणि {12 (3+9) उपांगसूत्र जैन विश्व भारती मूल} भाग 1-2 (दे. ना., रो.) [T, S] (515, 535, 561, 579, 611, 623, 641, 647, 672, 697, 722, 745} महावीर जैन विद्यालय {जैन आगम ग्रंथमाला ग्रं. 3} 1382 अंगसुत्ताणि (आयारो, सूयगडो, ठाणं, जैन विश्व भारती | समवाओ) ANGA SUTTANI जैन विश्व भारती संपादक, संशोधक आदि संपा. - रतनलाल डोशी, | पारसमल चण्डालिया संपा. - रतनलाल डोशी, | पारसमल चण्डालिया संशो., संपा. - पुण्यविजयजी (आगमप्रभाकर), अमृतलाल | मोहनलाल भोजक पंडित प्रबंध संपा. श्रीचंद रामपुरीचा. संपा. महाप्रज्ञजी आचार्य संपा. महाप्रज्ञजी आचार्य वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) संपा. महाप्रज्ञजी आचार्य 2038 (1) 1474 (C) संपा. जंबूविजयजी (आगमप्रत) 2041 (1) 20402041 (1) 2040 2043 (1) 754+576= 1330 (D) 688+424= 1112 (B) | 882 (B) 2044 1175+852= 2045 (अ.) 2027 (B) 2049 (2) 1075 (B) 2049 (2) 918 (B)
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy