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50. ओघनियुक्तिसूत्र
प्रकाशक (ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि सन्मार्ग प्रकाशन, (P) संपा.-कीर्तियशसूरि, पूर्व जंबूस्वामी जैन मुक्ताबाई संपा.-नित्यानंदविजयजी पं. आगममंदिर
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2061 (2) 147 (C)
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय 1291 ओघनियुक्ति पराग (ओ.नि.सूत्र का
नित्यानंदविजयजी पं. कृत अंशसंग्रह | (गु.) विवे.युक्त} {गु.} [T] {1454}
संशो.-भव्यसुंदरविजयजी
20632064(1)
864+8923 1756 (P)
संपा.-गुणहंसविजयजी (#)
20642065 (1)
1388+452840(P)
| 1292 ओघनियुक्तिः {ओ.नि.सूत्र सह कमल प्रकाशन ट्रस्ट, द्रोणाचार्यजी कृत टीका,
अमदावाद गुणहंसविजयजी कृत (गु.) अनु., भाष्यानु,टीकानु.) भाग 1-2 {गु., दे.ना.} {1444,1445, 1446,1449,
1451, 1452} 1293 ओघनियुक्ति सारोद्धार
कमल प्रकाशन ट्रस्ट, {ओघनियुक्ति सारोद्धार (ओ.नि.सूत्र | अमदावाद का गुणहंसविजयजी कृत अंशसंग्रह (गु.) विवे.युक्त)) भाग 1-2 {गु.}
{1455) 1294 ओघनिर्यक्तिः (ओ.नि.सत्र सह भाष्य, जिनशासन आराधना
द्रोणाचार्यजी कृत टीका} {दे.ना.} ट्रस्ट, (P) आगमोदय [T, S] {1444, 1445, 1446) समिति {प्राचीन श्रुत
समुद्धारपद्यमाला,
पद्य 31} 1295 सिद्धान्त रहस्य बिन्दुः {ओ.नि.सूत्र कमल प्रकाशन ट्रस्ट,
और टीका का गुणहंसविजयजीकृत अमदावाद सटीक अंशसंग्रह ) (दे.ना.} {1456}
पूर्व संपा., पूर्व संशो.-सागरानंदसूरि (#)
2065 (पु.मु.)
243 (P)
संशो.-जयभूषणविजयजी2070 (1) 202 (B)
2002 (अ.) 22 (P)
2049 (1) |138 (C)
51. द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसंग्रहणी गाथा (1296-1298) 1296 द्वीपसागरप्रज्ञप्तिसंग्रहणी
चंदनसागर ज्ञानभंडार संशो..चंदनसागरजी गणि (सिरिदीवसागरपण्णत्तिसंघहणी) {द्वीप.संग्र.गाथा मूल} {दे.ना.} [3]
11457} 1297 दीवसागरपण्णत्तिपइण्णयं
आगम अहिंसा समता एवं संपा.-सागरमल जैन डॉ. (2) (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति-प्रकीर्णक) प्राकृत संस्थान {आगम {द्वीप.संग्र.गाथा सह सुरेश सिसोदिया संस्थान ग्रंथमाला 8) डॉ.कृत (हिं.) अनु.} {दे.ना.} [T,S]
{1457,1459) 1298 द्वीपसागर-प्रज्ञप्ति संग्रहणी हर्षपुष्यामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि
{द्वीप.संग्र.गाथा मूल} {दे.ना.} {ग्रं. 295} {1457)
2051 (1)
28 (D)
1983 (अ.) |46 (P)
52. ऋषिभाषितानिप्रकीर्णकसूत्र (1299-1307) 1299 प्रत्येकबुद्धर्भाषितानि
ऋषभदेव केशरीमलजी संपा.-सागरानंदसूरि (*) श्रीऋषिभाषितसूत्राणि
जैन श्वेतांबर संस्था {ऋ.भा.प्रकी.सूत्र सह अज्ञात कर्तृक (प्रा.) संग्रहणी द्वय} {दे.ना.} {1460, 1461, 1462}