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आगम प्रकाशन परिचय
215
क्र.
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) |2051 (अ.) 191 (B)
प्रकाशन नाम एवं परिचय
प्रकाशक (ग्रंथमाला 1280| पंचकल्पभाष्य चूर्णि (पञ्च.भाष्य की जिनशासन आराधना संपा.-कुलचंद्रसूरि, सह संपा.. चूर्णि} {दे.ना., गु.) [T, S] {1443) टस्ट
कल्याणबोधिसूरि 1281 पंच कल्प भाष्य चूर्णि {पञ्च.भाष्य की दादर आराधना भवन जैन संपा.-कुलचंद्रसूरि, सह
चूर्णि} {दे.ना.} [T, S] {1443) पौषधशाला ट्रस्ट संपा.-कल्याणबोधिसूरि
2051 (अ.) 258 (P)
|2060 (अ.)/406 (B)
1282 पञ्चकल्पभाष्यम् पंचकल्पभाष्यचूर्णि |अप्रदर्शित, (P)
| {पञ्च.भाष्य सह चूर्णि} {दे.ना.) आगमोद्धारक जैन |[T,S] {1442,1443)
ग्रंथमाला, (P) जिनशासन आराधना
संक.-अभयचंद्रसूरि, पूर्व संशो.-लाभसागरजी पंन्यास, पूर्व संपा. कुलचंद्रसूरि, कल्याणबोधिसूरि
ट्रस्ट
50. ओघनियुक्तिसूत्र (1283-1295) | 1283 ओघनियुक्तिः {ओ.नि.सूत्र सह भाष्य, आगमोदय समिति संशो., संपा.-सागरानंदसूरि (2) 1975 (अ.) 229 (P)
द्रोणाचार्यजी कृत टीका} {दे.ना.)
[T, S] {1444, 1445, 1446} 1284 ओघनियुक्तिः {ओ.नि.सूत्र सह दानसूरिजी जैन ग्रंथमाला संशो.,संपा.-मानदेवसूरि 2014 (अ.) 553 (P)
भाष्य, द्रोणाचार्यजी कृत टीका) {रत्न 56) (दे.ना.) [T, S] {1444,1445,
1446) 1285 ओघनियुक्ति पराग (ओ.नि.सूत्र का जंबूस्वामी जैन मुक्ताबाई संपा.-नित्यानंदविजयजी पं. 2018 (1) 242 (C)
नित्यानंदविजयजी पं. कृत अंशसंग्रह आगममंदिर (गु.) विवे.युक्त} {गु.) [T] {1454) {आत्म-कमल-दान
प्रेम-जंबूसूरि जैन
ग्रंथमाला 44} 1286 ओघनियुक्तिः [OGHANIRYUKTI] देवचंद लालभाई जैन संशो., संपा.-सूर्योदयसागरसूरि |2030 (अ.) |494 (P) {ओ.नि.सूत्र, भाष्य सह
पुस्तकोद्धार फंड ज्ञानसागरसूरिजी कृत अवचूरि) {ग्रंथांक 121) {दे.ना.} [T, S] {1444, 1445,
1447) 1287 ओघनियुक्तिः {ओ.नि.सूत्र सह भाष्य, जिनशासन आराधना पूर्व संपा., पूर्व
2046 (8) 524 (P) द्रोणाचार्यजी कृत टीका} {दे.ना., गु.) ट्रस्ट, (P) दानसूरिजी जैन संशो.-मानदेवसूरि
(पु.मु.) |[T, S] {1444, 1445, 1446) ग्रंथमाला {आगम
प्रकाशन माला 3} 1288 ओघनियुक्ति सूत्रम् {ओ.नि.सूत्र सह हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2055 (1) 282 (P)
भाष्य, द्रोणाचार्यजी कृत टीका) {ग्रं. 357) {दे.ना.} [T, S] {1444, 1445,
1446} | 1289/ओघनियुक्ति-ग्रन्थः {ओ.नि.सूत्र सह आनंद प्रकाशन, संपा.-अक्षयचंद्रसागरजी गणि, |2056 (अ.) 242 (P) भाष्य, द्रोणाचार्यजी कृत टीका) अमदावाद
पूर्व संशो., पूर्व (दे.ना.,गु.) [T, S] {1444,1445,
संपा.-सागरानंदसूरि 1446 . 1290/ ओघनियुक्ति सूत्रं {ओ.नि.सूत्र सह जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व 2061 (1) 86 (P) भाष्य) {दे.ना., गु.} [9] {1444, 1445}|
संशो., पूर्व संपा. -सागरानंदसूरि |