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46. कल्पसूत्र
संपादक, संशोधक आदि
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
संपा.-राजकीर्तिसागरजी पंन्यास 2067 (1) |272 (P)
प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) भाषान्तर (कल्पसूत्र (सचित्र) का विहार जैन ट्रस्ट लब्धिसूरिजी (2) कृत खीमशाही बा.बो. अनुसारी (गु.) अनु.) भाग 1-2 {गु.) {1396) कल्पसूत्रम् (बारसासूत्रम्) (सचित्र) सुबोध श्रेणी प्रकाशन (युगप्रधानश्री कालिकाचार्य कथाद्वय संयुक्तं सचित्रम्) (कल्पसूत्र (सचित्र) का बेचरदास जीवराज दोशी पं. कृत
(गु.) अनु.} {गु.} {1389) 1273 कल्पसूत्रना व्याख्यान (कल्पसूत्र के अर्हद धर्म प्रभावक ट्रस्ट
सुबोधिका टीकानुसारी हृदयरत्नविजयजी कृत (गु.) प्रव., माणेकविजयजी कृत सज्झाय} {गु.}
{1375, 1435) 1273 सचित्र-बारसा (कल्प) सूत्रम् मोक्षपथ प्रकाशन (1)
{कल्पसूत्र मूल} {दे.ना.} {1359)
संपा.-हदयरत्नविजयजी
2069 (1)
238 (P)
संपा.-रम्यदर्शनविजयजी
|2070 (1)
283 (P)
47. यतिजीतकल्पसूत्र (1274-1276) 1274 जइ-जीय-कप्पो (यति-जीत-कल्पः) आगमोद्धारक जैन संशो.-लाभसागरजी पंन्यास 2028 (अ.) [178 (B)
{यति.सूत्र सह साधुरत्नसूरिजीकृत ग्रंथमाला {ग्रंथांक 51)
टीका) {दे.ना. [S] {1438, 1439) | 1275 जइ-जीय-कप्पो (यति-जीत-कल्पः) शांतिनाथ भगवान जेन पूर्व संशो.-लाभसागरजी पंन्यास 2063 (अ.) |172 (B)
{यति.सूत्र सह साधुरत्नसूरिजीकृत देरासर ट्रस्ट, (P) टीका) (दे.ना.) [S] {1438, 1439)
आगमोद्धारक जैन ग्रंथमाला 1276 जइजीयकप्पो (यतिजीतकल्प:) परम धर्म प्रकाशन संपा.-नयभद्रविजयजी 2069 (1) 224 (C)
{यतिजीतकल्प सह साधुरत्नसूरिजी कृत टीका} {दे.ना., गु.) [T,S] {1438, 1439)
48. श्राद्धजीतकल्पसूत्र (1277-1278) 1277 सङ्क-जीयकप्पो (श्राद्धजीतकल्प:) |आगमोद्धारक जैन संशो.-लाभसागरजी पंन्यास |2027 (अ.) |100 (B)
{श्रा.जीत.सूत्र सह सोमतिलकसूरिजी | ग्रंथमाला (ग्रंथांक 45)
कृत टीका)(दे.ना.} [3]{1440, 1441)| 1278 सङ्क-जीयकप्पो (श्राद्धजीतकल्पः) जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक पूर्व संशो.-लाभसागरजी पंन्यास 2063 (अ.) 94 (B)
| {श्रा.जीत.सूत्र सह सोमतिलकसूरिजी संघ, मढी., (P)
कृत टीका} {दे.ना.)[3]{1440, 1441)| आगमोद्धारक जैन ग्रंथमाला 1278 सङ्ग-जीयकप्पो (श्राद्धजीतकल्पः) परम धर्म प्रकाशन संपा.-नयभद्रविजयजी 2069 (1) 120 (B)
{श्राद्धजीतकल्प सह धर्मघोषसूरिजी कृत स्वोपज्ञ टीका} {दे.ना., गु.) [3] {1440, 1440a)
49. पंचकल्पभाष्य (1279-1282)
आगमोद्धारक जैन संशो.-लाभसागरजी पंन्यास ग्रंथमाला {ग्रंथांक 52}
1279 पंचकप्पभासं (पञ्चकल्पभाष्यम्)
{पञ्च.भाष्य मूल} {दे.ना.} [s] (1442)
2028 (अ.) 330 (C)