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क्र.
| प्रकाशन नाम एवं परिचय
1300 इसि भासियाई सुत्ताई अर्थात् अर्हतचि प्रोक्त ऋषिभाषितानि सूत्राणि [[ISIBHASIYAIM] [ऋ. भा. प्रकी. सूत्र, संग्रहणी द्वय सह वाल्ड स्मीडट कृत छाया (टीका), मनोहरमुनिजी कृत (हिं. गु.) अनु, विवे. (वे. ना. गु.]
"
[T, S] (1460, 1461, 1462, 1463, 1465, 1468}
1301 इसिभासियाई [ISIBHASIYAIM ] {ऋ. भा. प्रकी. सूत्र (रोमन लिप्यंतरयुक्त) सह वाल्ड स्मीडट कृत छाया (टीका)) रो., दे. ना. [T. S] {1460, 1463}
1302 इसिभासियाई सुताई (ऋषिभाषित
सूत्र) [ISIBHASIYAIM SUTTAIM] | (RISHIBHASHIT SUTRA) (ऋ. भा. प्रकी. सूत्र, (प्रा.) संग्रहणी द्वय सह विनयसागरजी महो. कृत (हिं.) अनु. और उसका कलानाथ शास्त्री एवं दिनेशचंद्र शर्मा डॉ. कृत (अं.) भाषां., सागरमलजी जैन डॉ. कृत (हिं.) शोधग्रंथ और उसका सुरेन्द्र योधरा कृत (अं) भाषां.) (दे.ना.. रो.} [T, S] [1460, 1461, 1462, 1466, 1467, 1469, 1470)
1303 ऋषिभाषित एक अध्ययन
:
{ऋ. भा. प्रकी. सूत्र का सागरमलजी जैन डॉ. कृत (हिं.) शोधग्रंथ) (दे.ना. } [T] {1469}
1304 | RISHIBHASHIT A STUDY
ऋ. भा. प्रकी. सूत्र के सागरमलजी जैन | डॉ. कृत शोधग्रंथ का सुरेन्द्र बोथरा कृत (अं) भाषां.) (रो.) [T] (1470)
1305 इसिभासियाइं सूत्ताणि, | चतुर्विंशतिजिनस्तुतिसंग्रहः {ऋ. भा. प्रकी. सूत्र सह अज्ञात कर्तृक (प्रा.) संग्रहणी द्वय एवं चतुर्विंशतिजिनस्तुति संग्रहः) (दे.ना.)
{1460, 1461, 1462)
1306 ऋषिभाषित का दार्शनिक अध्ययन
आगम प्रकाशन परिचय
प्रकाशक (ग्रंथमाला} सुधर्मा ज्ञानमंदिर
लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर
{ला. द. ग्रंथश्रेणि 45}
प्राकृत भारती अकादमी, जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ मेवानगर ( प्राकृत भारती पुष्प 46 }
संपादक, संशोधक आदि संशो. नारायणराम आचार्य, संपा. मनोहरलालजी मुनि, टिप्पण - Walther Schubring
प्राच्य विद्यापीठ,
प्रबंध संपा. दलसुखभाई मालवणिया पंडित, पूर्व संपा. - Walther Schubring
Dr.
संपा. विनयसागरजी महोपाध्याय
प्राकृत भारती अकादमी, संपा. विनयसागरजी जैन श्वेतांबर नाकोडा महोपाध्याय पार्श्वनाथ तीर्थ,
मेवानगर, पार्श्वनाथ
विद्यापीठ (प्राकृत भारती
पुष्प 49 }
प्राकृत भारती अकादमी, संपा. विनयसागरजी जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ,
महोपाध्याय
मेवानगर, पार्श्वनाथ
| विद्यापीठ (प्राकृत भारती पुष्प 54}
| जिनशासन आराधना ट्रस्ट, (P) ऋषभदेव | केशरीमलजी जैन श्वेतांबर संस्था
पूर्व संशो. पूर्व संपा. सागरानंदसूरि (8)
संपा. सागरमल जैन डॉ.
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 351 (B)
2020 (1)
2030 (1)
2044 (1) 430 (B)
2044 (1)
2044 (1)
195 (B)
2050
(पु.मु.)
110 (C)
104 (C)
64 (P)
217
2065 (3T.) 188 (C)