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________________ xxii → उदाहरण A में विक्रम संवत् 2008 अर्वाचीन कृति की प्रकाशन संवत् है । → उदाहरण 6 में कृति की रचना विक्रम संवत् से 300 से भी अधिक वर्ष पहले होने का अनुमान किया गया है। O प्रसिद्ध नाम एवं विशेषता :→ कृति के व्यवहार में प्रचलित नाम एवं कर्ता/संपादक के द्वारा दिए गए विशेष नाम यहाँ पर दिए गए → अनुवाद, विवेचन आदि कृतियों में अनुवादक, विवेचक द्वारा विशेष स्पष्टीकरण/साक्षीपाठ/तुलना आदि अगर टिप्पण के रूप में दिये गये हैं, तो कृतियों की ऐसी विशेषताओं का उल्लेख भी यहाँ किया गया है । → टीका आदि कृतियों की रचना अगर मूल, नियुक्ति आदि एकाधिक कृतियों पर हो, तो उसकी स्पष्टता यहाँ पर की गई है। → उदा. A में भगवतीसार कृति का प्रसिद्ध नाम है । → उदा. 6 में कृति टिप्पणयुक्त है, एवं स्वोपज्ञ है - अर्थात् कर्ता द्वारा स्वरचित प्रकरण आदि ग्रंथ __पर स्वयं ही विवेचन आदि की रचना की गई है, जिसमें टिप्पण भी कर्ता द्वारा दिए गए हैं । → उदा. A में प्रस्तुत टीका मूल और नियुक्ति इन दोनों पर बनाई गई है । 6 भाषा :→ कृति की भाषा कोष्ठक '()' में सांकेतिक रूप से दी गई है । → भाषाओं के लिए प्रयुक्त संकेतों की सूची संकेतसूची अंतर्गत दी गई हैं । 9 रचनाशैली :→ कृति की गद्यात्मक, पद्यात्मक आदि रचनाशैली का उल्लेख यहाँ किया गया है । 40 परिमाण :→ कृति का प्रकाशित परिमाण ही यहाँ दिया गया है । यहाँ मूल कृतियों के परिमाण विस्तार से दिए गए हैं । → विवरणात्मक कृतियों के परिमाण दर्शाने के लिए विवृत कृति के परिमाण को कोष्ठक () में आवश्यकता अनुसार संक्षिप्त करके दर्शाया गया है ।। → परिमाण दर्शाने के लिए उपयुक्त संकेतों की सूची संकेतसूची में दी गई हैं । → परिमाण संबंधित विशेष स्पष्टता निम्नोक्त उदाहरणों में सरलता से देने का प्रयास किया गया है । → उदाहरण में आचारांगसूत्र की मूल कृति का प्रकाशित परिमाण दिया गया है, जिसके अनुसार आचारांगसूत्र में कुल 2 श्रुतस्कंध हैं, जिनमें प्रथम श्रुतस्कंध के 9 अध्ययन एवं प्रत्येक अध्ययन के 7, 6.. आदि कुल 51 उद्देश और प्रथम श्रुतस्कंध के कुल 323 सूत्र हैं, जबकि दूसरे श्रुतस्कंध की 4 चूलिका, 16 अध्ययन एवं प्रत्येक अध्ययन के 11, 3.. आदि कुल 25 उद्देश और दूसरे श्रुतस्कंध के कुल 481 सूत्र हैं, एवं संपूर्ण कृति का कुल ग्रंथान 2644 श्लोकप्रमाण है।
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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