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________________ 192 38. तंदुलवैचारिकप्रकीर्णकसूत्र क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय | 1043 | तन्दुलवैचारिक सूत्रं (तंदुलवेयालिय सूत्रम्) {तंदुल.प्रकी.सूत्र मूल) {दे.ना.,गु.) [S] {1243) प्रकाशक {ग्रंथमाला) जैनानंद पुस्तकालय संपादक, संशोधक आदि संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2061 (1) 32 (P) 1997 (अ.) 15 (P) 2038(1) 150 (E) 2047 (1) 116(C) 39. चन्द्रावेध्यकप्रकीर्णकसूत्र (1044-1049) | 1044 चंदाविज्झय [चंदगविज्झंपइण्णय केशरबाई जैन ज्ञानमंदिर संपा.-क्षमाभद्रसूरि {चंद्रा.प्रकी.सूत्र सह चतुरविजयजी {कमलसूरीश्वरजी जैन कृत छाया} {दे.ना.} ग्रंथमाला 4} {1254, 1255} |चदा-वज्झय पइण्णय {चंद्रा.प्रकी.सूत्र महावीर तत्त्वज्ञान प्रचारक | अप्रदशित सह कलापूर्णसूरिजी कृत (गु.) अनु.} मंडल {गु., दे.ना.} {1254, 1256} | 1046| चंदावेज्झयं पइण्णय आगम अहिंसा समता एवं संपा.-सागरमल जैन डॉ. (चन्द्रवेध्यक-प्रकीर्णक) प्राकृत संस्थान {आगम (चंद्रा.प्रकी.सूत्र सह सुरेश सिसोदिया संस्थान ग्रंथमाला 6} डॉ. कृत (हिं.) अनु.} {दे.ना.} [[T, S] {1254, 1257) 1047 चन्द्रवेध्यक-प्रकीर्णकम् हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि | {चंद्रा.प्रकी.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.} {I. 270) {1254} 1048| पूर्वाचार्य रचित 'सिरिचंदावेज्झय गुरु रामचंद्र प्रकाशन संपा.-जयानंदविजयजी (2) पइण्णयं' {चंद्रा.प्रकी.सूत्र सह समिति कलापूर्णसूरिजी के अनु. का जयानंदविजयजी कृत (हिं.) भाषां.} {दे.ना.} {1254, 1259) 1049 CANDAVEJJHAYAM आगम अहिंसा समता एवं संपा.-सागरमल जैन डॉ. PAINNAYAM (CHANDRA प्राकृत संस्थान {आगम VEDHYAKA PRAKIRNAKA) संस्थान ग्रंथमाला 20} {चंद्रा.प्रकी.सूत्र सह सुरेश सिसोदिया डॉ. के अनु. का कर्नल दलपतसिंघ बाया डॉ. कृत (अं.) भाषां.} {रो.} [T, S] {1254, 1261} 2049 (1) 20 (P) 2057 (अ.) |32 (C) 2058 (1) 146 (C) 40. देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णकसूत्र (1050-1052) 1050 देवेन्द्रस्तव-प्रकीर्णकम् {देवे.प्रकी.सूत्र हर्षपुष्यामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2049 (1) 24 (P) मूल) {दे.ना., गु.} {1262) {ग्रं. 253) | 1051 45-आगमसुत्ताणि देविंदत्थओ आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी 2052 (अ.) 28 (C) पइण्णयं] {देवे.प्रकी.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.} {1262} 1052 देवेन्द्रस्तव सूत्रं (देविंदस्थ सूत्रम्) जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, |2061 (1) 28 (P) {देवे.प्रकी.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.) पूर्व संशो., पूर्व [s] {1262} संपा.-सागरानंदसूरि
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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