________________
आगम प्रकाशन परिचय
191
क्र.
प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) 1033 भक्तपरिज्ञा सूत्रं {भक्त.प्रकी.सूत्र मूल} जैनानंद पुस्तकालय
(दे.ना., गु.} [S] {1228}
संपादक, संशोधक आदि संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2061 (1) 20 (P)
37.संस्तारकप्रकीर्णकसूत्र (1034-1036) 1034 संथारगपइण्णयं (संस्तारक-प्रकीर्णक) आगम अहिंसा समता एवं संपा.-सागरमल जैन डॉ. 2051 (1) |100 (C)
{संस्ता.प्रकी.सूत्र सह सुरेश सिसोदिया प्राकृत संस्थान {आगम डॉ. कृत (हिं.) अनु.} {दे.ना.} [T, S] संस्थान ग्रंथमाला 13)
{1235, 1239} 103545-आगमसुत्ताणि (संथारग पइण्णयं) आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी 2052 (अ.) 16 (C)
{संस्ता .सूत्र मूल} {दे.ना., गु.)
{1235} 1036 संस्तारक सूत्रं (संथारग सूत्रम्) जैनानंद पुस्तकालय |संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व 2061 (1) |18 (P) {संस्ता.प्रकी.सूत्र मूल) (दे.ना., गु.]
संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि [S] {1235)
___38. तंदुलवैचारिकप्रकीर्णकसूत्र (1037-1043) 1037 तंदुलवेयालियपयन्नं-अर्थसहितं हीरालाल हंसराज पंडित संपा.-हीरालाल हंसराज (2) 1967 (अ.) |122 (P)
(तंदुल.प्रकी.सूत्र सह हीरालाल हंसराज |पं. कृत (गु.) अनु.} (दे.ना.)
{1243, 1248} 1038 तन्दुल वैचारिक. प्रकीर्णकम् (तन्दुल श्वेतांबर साधुमार्गी जैन संशो., संपा.-वीरपुत्रजी महाराज 2006 (1) 98 (P)
वेयालिय पइण्णं) {तंदुल.प्रकी.सूत्र हितकारिणी संस्था सह अंबिकादत्तजी ओझा कृत छाया, (हिं.) अनु.} {दे.ना.} {1243, 1247,
1249} 1039 तन्दुलवैचारिक-प्रकीर्णकम् हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि |2042 (1) 164 (D)
{तंदुल.प्रकी.सूत्र सह विजयविमल {ग्रं. 146} गणिजी कृत टीका} {दे.ना.} [T, S]
{1243, 1244) 1040 तंदुलवेयालियपइण्णयं ।
आगम अहिंसा समता एवं संपा.-सागरमल जैन डॉ. 2047 (1) |110 (C) (तंदुलवैचारिक-प्रकीर्णक)
प्राकृत संस्थान (आगम (तंदुल.प्रकी.सूत्र सह सुभाष कोठारी संस्थान ग्रंथमाला 5) डॉ. कृत (हिं.) अनु., विस्तृत परिचय) {दे.ना.) [T, S] {1243, 1250) तन्दुलवैचारिक-प्रकीर्णकम् हर्षपुष्यामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि | 2050 (1) 102 (P) {तंदुल.प्रकी.सूत्र सह विजयविमल {ग्रं. 307} गणिजी कृत टीका} {दे.ना.} [T, S]
{1243, 1244) 1042 45-आगमसुत्ताणि (तंदुलवेयालिय आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2052 (अ.) 24 (C)
पइण्णयं) {तंदुल.प्रकी.सूत्र मूल {दे.ना., गु.} {1243)
1041