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34. चतुःशरणप्रकीर्णकसूत्र
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक (ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 1025 चतुःशरणप्रकीर्णकम् {चतुः प्रकी.सूत्र हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि |2052 (1) 44 (P)
सह सोमसुंदरसूरिजी कृत अवचूर्णि} {ग्रं. 320}
{दे.ना.} [T, S] {1186, 1190} 1026 चतुःशरणं सूत्रं (चउःसरण सूत्रम्) जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व 2061 (1) 14 (P) {चतुः प्रकी.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.}
संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि ITS] {11861 1027 चतुःशरणप्रकीर्णकम् {चतुः.प्रकी.सूत्र सन्मार्ग प्रकाशन संशो., संपा.-कीर्तियशसूरि 2064 (1) 340 (B)
सह अज्ञात कर्तृक छाया, बृहद्विवरण, {रामचंद्रसूरि अवचूरि, सोमसुंदरसूरिजी कृत स्मृति-संस्कृत-प्राकृत अवचूरि, गुणरत्नसूरिजी कृत टीका, ग्रंथमाळा 22) टिप्पण, विनयविजयजी कृत बा.बो., कीर्तियशसूरिजी (#) कृत (गु.) अनु. और लघु चतुः प्रकी.सूत्र सह कीर्तियशसूरिजी कृत छाया, (गु.) अनु. आदि) {दे.ना., गु.) [T, S] {1186, 1187, 1188, 1189, 1190, | 1191,1192,1196, 1206, 1517, 1518, 1519, 1570)
35. आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकसूत्र (1028-1030) | 1028|45-आगमसुत्ताणि [आउरपच्चक्खाण आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2052 (अ.) |16 (C)
पइण्णयं] {आ.प्र.प्रकी.सूत्र मूल)
{दे.ना., गु.} {1209) 1029 आउरपच्चक्खाण सूत्रं
जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व 2061 (1) 14 (P) {आ.प्र.प्रकी.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.)
संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि [S] {1209) 1030 आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकम् सन्मार्ग प्रकाशन संशो., संपा.-कीर्तियशसूरि |2066 (1) 400 (B)
(सिरि-आउरपच्चक्खाण-पइण्णयं) {रामचंद्रसूरि {आ.प्र.प्रकी.सूत्र सह
स्मृति-संस्कृत-प्राकृत भुवनतुंगसूरिजी कृत टीका, ग्रंथमाळा 27) सोमसुंदरसूरिजी और गुणरत्नसूरिजी कृत अवचूरियाँ, अज्ञात कर्तृक छाया, बा.बो., (गु.) अनु. और (लघु) आ.प्र.प्रकी.सूत्र-1 एवं 2 मूल आदि) (दे.ना., गु.) [T,S] {1209, 1210, 1211, 1212, 1213, 1217, 1225, 1520, 1521, 1570)
36. भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णकसूत्र (1031-1033) 1031 45-आगमसुत्ताणि (भत्तपरिन्ना आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी 2052 (अ.) 20 (C)
पइण्णयं) {भक्त.प्रकी.सूत्र मूल)
{दे.ना., गु.} {1228} 1032 भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णकम् (भक्त.प्रकी.सूत्र हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2052 (1) 22 (P) मूल}{दे.ना.}{1228}
{ग्रं. 283)