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33. पिंडनियुक्तिसूत्र
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
की) टीका और माणिक्यसुंदरसूरिजी कृत (गाथा-65, 586-671 की) दीपिका टीका} {दे.ना.} [T, S] {1167, 1168,
1170, 1172, 1173} 1009 | पिंडनियुक्ति ग्रंथरत्ननो टीकार्थयुत. शासनकंटकोद्धारकसूरि संपा.-हंससागरसूरि (#) 2018 (अ.) |418 (B)
सुविशुद्ध अनुवाद (पिंड.सूत्र सह जी जैन ज्ञानमंदिर भाष्य, हंससागरसूरिजी कृत (गु.) {ग्रंथांक 9} अनु., भाष्यानु., मलय. टीकानु.) {गु., दे.ना.} [T] {1167, 1168,
1175, 1180, 1182) 1010 पिण्डनियुक्तिः (पिंड.सूत्र सह भाष्य, जिनशासन आराधना पूर्व संशो., पूर्व
2047 182 (P) मलय. टीका} {दे.ना.} [T,S] {1167, ट्रस्ट, (P) देवचंद लालभाई संपा.-सागरानंदसूरि (2) (पु.मु.) 1168,1171)
जैन पुस्तकोद्धार फंड {आगम प्रकाशन
माला 25 1011 पिण्डनियुक्तिः {पिंड.सूत्र सह भाष्य, हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2049 (1) 590 (P) मलय. टीका, क्षमारत्न मुनि कृत
{ग्रं. 256) |अवचूरि माणिक्यसुंदरसूरिजी कृत (गाथा-65, 586-671 की) दीपिका टीका और वीर गणिजी कृत (गाथा-28, 625-671 की) टीका) {दे.ना., गु.} [T, S] {1167, 1168,
1170, 1171, 1172, 1173) 1012| पिण्डनियुक्तिः (पिंड.सूत्र सह भाष्य, आनंद प्रकाशन, संपा.-अक्षयचंद्रसागरजी गणि, 2056 188 (P) मलय.टीका) {दे.ना., गु.) [T,s] अमदावाद, (P) देवचंद पूर्व संशो., पूर्व
(पु.मु.) {1167, 1168, 1171}
लालभाई जैन पुस्तकोद्धार संपा.-सागरानंदसूरि
फंड (2) 1013 पिण्डनियुक्ति सूत्रं {पिंड.सूत्र सह जैनानंद पुस्तकालय
संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, 2061 (1) 56 (P) भाष्य} {दे.ना., गु.} [s]
पूर्व संशो., पूर्व |{1167, 1168}
संपा.-सागरानंदसूरि 1014 पिण्डनियुक्ति [PINDANIRYUKTI] जैन विश्व भारती प्रधान संपा.-महाप्रज्ञजी आचार्य, 2064 (1) 520 (B) | {पिंड.सूत्र सह भाष्य, दुलहराजजी
संपादिका-कुसुमप्रज्ञाश्रीजी डॉ. मुनि कृत (हिं.) अनु., भाष्यानु., कुसुमप्रज्ञाश्रीजी डॉ. कृत शोधग्रंथ} भाग 4 {दे.ना.) [T, S] {1167, |1168,1178,1181, 1185)
198 (P)
पूर्व संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि (#)
2064 (पु.मु.)
1015 पिण्डनियुक्तिः (पिंड.सूत्र सह भाष्य, जिनशासन आराधना
मलय. टीका) {दे.ना.} [T, S] {1167, ट्रस्ट, (P) आगमोदय 1168,1171}
समिति {प्राचीन श्रुत समुद्धार पद्ममाला,
पद्म 5) 1016 पिण्डनियुक्तिः (पिंड.सूत्र सह भाष्य, दिव्यदर्शन ट्रस्ट
संशो., संपा.-करुणादृष्टि
2067 (अ.) 220 (B)