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186
क्र.
990
प्रकाशन नाम एवं परिचय
आवश्यक सूत्रं ( आव. सूत्र मूल } {दे.ना., गु.} [S] [1116}
991 आवश्यक निर्युक्ति दीपिका (आव. सूत्र सह आ.नि., माणिक्यशेखरसूरिजी कृत दीपिका}
भाष्य,
भाग 1-3 (दे.ना. } [T, S] {1116, 1117, 1118, 1127)
992
| आवश्यक सूत्र विवरणम् ( आ.नि. सह भाष्य, मलय. टीका (नि. गाथा-829) } भाग 1-2 (दे. ना. } [T, S] {1117, 1118, 1125)
993 आवश्यकचूर्णि आव. सूत्र और
994 आवश्यकसूत्रावचूर्णि: {आव. सूत्र सह आ.नि., भाष्य, ज्ञानसागरसूरिजी कृत अव.] भाग 1-2 (दे. ना. } [T, S] {1116, 1117, 1118, 1128}
995 आवश्यक सूत्र [AAVSHYAK | SUTRA] { आव. सूत्र सह रुपाबाई महासतीजी कृत (गु.) शब्दार्थ, अनु.. | विवे} {गु., दे.ना.} {1116, 1144}
996 आवश्यक सूत्र (आव. सूत्र सह | पारसमलजी चंडालिया कृत (हिं.) शब्दार्थ, अनु., विवे} {दे. ना. } [T] {1116, 1143)
आ. नि. की चूर्णि} भाग 1-2 (दे. ना. } { ग्रं. 417 } {1120}
997 आवश्यकसूत्रम् ( आव. सूत्र सह आ.नि., भाष्य, मलय. टीका (अ.1, अ. 2 - गाथा - 4) } भाग 1-3 (दे.ना. } [S] {1116, 1117, 1118, 1125) 998 आवश्यकनिर्युक्तिः ( आ.नि. सह भाष्य, तिलकसूरिजी कृत टीका} भाग 1-2 (दे. ना. गु.) [T. S] [1117,
1118, 1126}
999 आवश्यकनिर्युक्तिः (आव. सूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य, हारि. टीका} भाग 1-4 { दे. ना. } [T, S] {1116, 1117, 1118, 1123}
32. आवश्यक सूत्र
| प्रकाशक (ग्रंथमाला}
जैनानंद पुस्तकालय
हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा. -जिनेन्द्रसूरि {ग्रं. 420 }
हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा. जिनेन्द्रसूरि {ग्रं. 422 }
हर्षपुष्यामृत जैन ग्रंथमाला संशो, संपा. जिनेन्द्रसूरि
हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा. जिनेन्द्रसूरि ग्रं. 427 }
| गुरुप्राण फाउन्डेशन आगमयत्रीसी रत्न 33)
संपादक, संशोधक आदि
संपा. पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व संशो. पूर्व | संपा. सागरानंदमूरि
अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ {रत्न 130 }
सन्मार्ग प्रकाशन {रामचंद्रसूरि
आगमोद्धारक श्रुतसेवा संशो., संपा. सागरानंदसूरि समिति (P) आगमोदय
समिति (श्रेणी 3)
स्मृति संस्कृत-प्राकृत ग्रंथमाळा 19 }
| जिनशासन आराधना ट्रस्ट, (P) आगमोदय समिति प्राचीन श्रुत समुद्धार पद्ममाला, पद्म 18 }
प्रधान संपा. - .- लीलमबाई महासतीजी, सहसंपादिका आरतीबाई महासतीजी डॉ., | सुबोधकाबाई साध्वी | संपा, नेमिचंदजी बांठिया, पारसमल चण्डालिया
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 28 (P)
2061 (1)
पूर्व संशो. पूर्व
संपा. सागरानंदसूरि (#)
2061 (1)
2061 (1)
2061 (1)
2061 (1)
2062 (1)
2063 (2)
2063
(पु.मु.)
392+414= 806 (P)
2064
(पु.मु.)
512+256= 768 (P)
544+288= 832 (P)
416+257= 673 (P)
320 (B)
304 (B)
संशो., संपा. पुण्यकीर्तिविजय 2063 (अ.) 520+624= गणि
1144 (P)
306+169+1 70=645 (P)
268+254+ 286...=925
| (P)