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क्र.
| प्रकाशन नाम एवं परिचय
सौभाग्य मुनिजी कृत (हिं.) संक्षिप्त अनु. ( अ. 14) } भाग 1 (दे.ना.) (876, 918, 929, 970}
820 शारदा सुवास ( उत्त. सूत्र के शारदाबाई | महासतीजी के प्रव. 103 का नीराबेन नाहटा डॉ. कृत (हिं.) भाषां.
| (अ. 22वाँ)] भाग 1-2 (दे.ना. } {1012}
819 उत्तराध्ययन सूत्र - सार्थ (उत्त. सूत्र सह अप्रदर्शित दयामुनिजी (8) कृत (गु.) अनु) भाग 1-2 {गु., दे.ना.} {876, 956)
821 उत्तराध्ययनसूत्र (पद्यानुवाद) {उत्त. सूत्र का हस्तिमलजी आचार्य कृत (हिं.) पद्यानु.) दे.ना.) [T] (987)
822 कलापूर्ण स्वाध्याय (उत्तराध्ययन सूत्रम् अर्थ सहित) ( उत्त. सूत्र सह भद्रंकरसूरिजी (1) कृत (गु.) अनु भाग-32, 33, 34, 35 {गु. } {876, 957)
823 उत्तराध्ययनसूत्रम् (उत्त. सूत्र सह
भावविजयजी उपा. कृत टीका}
824 उत्तराध्ययनसूत्रम् {उत्त. सूत्र सह नियुक्ति, भाष्य, शांतिसूरिजी कृत टीका) भाग 1-3 (दे.ना.) [T, S] {876, 877, 878, 880}
825 उत्तराध्ययन सूत्र (मूळ) (दे.ना.) (876)
826 उत्तरायणाणि । उत्त सूत्र सह | कमलसंयम उपा. कृत टीका) भाग 1-2 [[वे. ना. गु.) [T, S] [876, 883)
828
827 उत्तराध्यायाः ( उत्त. सूत्र सह
आगम प्रकाशन परिचय
| जिनशासन आराधना ट्रस्ट, (P) आत्मानंद जैन
| भाग 1-3 (दे.ना. } [T, S] { 876, 884 } सभा, भावनगर (प्राचीन
प्रकाशक (ग्रंथमाला } | स्वर्ण जयंती अभिनंदन ग्रंथमाला 4}
| जयकीर्तिसूरिजी कृत दीपिका टीका) भाग 1-2 (दे.ना., गु. } [T, S] {876, 882)
आगम सटीक
'अनुवाद (उत्तराध्ययन-1-3) ( उत्त. सूत्र का
शारदारत्न विविधलक्षी चेरिटेबल ट्रस्ट
कलापूर्ण जैन आराधक मंडल
| सम्यग्ज्ञान प्रचारक मंडळ संपा. -शशिकांत झा
श्रुत समुद्धार पद्ममाला, पद्म 13}
| जिनशासन आराधना | ट्रस्ट, (P) देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड प्राचीन श्रुत समुद्धार
पद्ममाला, पद्म 22 }
रत्नोदय चेरीटेबल ट्रस्ट सरिराम
स्मरणमाळा 39 }
भद्रंकर प्रकाशन, (P) विजयधर्मलक्ष्मी ज्ञानमंदिर
भद्रंकर प्रकाशन, (P) | हीरालाल हंसराज पंडित
संपादक, संशोधक आदि
श्रुत प्रकाशन निधि
| संपा. देवचंद्रसागरसूरि
| संपादिका नीरा कांतिलाल नाहटा डॉ.
संपा. पूर्णचंद्रविजयजी गणि
पूर्व संशो. सभसूरि
पूर्व संशो., ' , पूर्व | संपा. सागरानंदसूरि (#)
संपा. -रत्नचंद्रसूरि
संपा. वज्रसेनविजयजी पंन्यास, सहसंपादिकाचंदनबाला श्रीजी, पूर्व संशो. जयंतविजयजी
संपा. दीपरत्नसागरजी (0)
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
| 2063 (अ.) 224+234= 458 (E)
2063 (1) 528+452= 980 (B)
2063 (3) 172 (B)
2064 (1)
169
2064
(पु.मु.)
2064
(पु.म.)
224+216+ 232...=2884
(F)
396+428+4 |30=1254 (P)
244+300+ 214= 758 (P)
2064 (3T.) 256 (D)
| 2065 (अ.) 496+512= 1008 (B)
संपादिका - चंदनबालाश्रीजी, पूर्व 2066 (अ.) 348+368= संपा. -हीरालाल हंसराज
|716 (B)
2066 (3T.) 224+224+
|224-672 (c)