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आगम प्रकाशन परिचय
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क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय
प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 77545-आगमसुत्ताणि [उत्तरज्झयणाणि] आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी 2052 (अ.) 112 (c)
{उत्त.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.} [s]
{876) 776 उत्तराध्ययन सूत्रम् महाराष्ट्र भुवन जैन संपा.-चंद्रगुप्तसूरि
2052 (1) 224 (D) [Uttaradhyayanasutram] {उत्त.सूत्र धर्मशाळा, (P) मूल} {दे.ना.} {876}
आर. डी. वाडेकर एन्ड
एन. वी. वैद्य 777 महानिग्रंथीय (उत्तराध्ययन सूत्र : अप्रदर्शित
अप्रदर्शित
2053 (अ.) 178 (D) अध्ययन 20मुं) {उत्त.सूत्र सह रविन्द्र मुनिजी(#) कृत छाया, (अं., गु.) पद्यानु., (गु.) विवे. (अ.20वाँ)}{गु.,
रो.) [T]{876, 923,984,985,996) 778 | कमल दिव्य इन्दु स्वाध्याय सौरभ शाह उर्मिलाबेन डॉ. संपा.-हेमप्रभसूरि
2053 (1) 480 (D) (उत्तराध्ययन सूत्र) {उत्त.सूत्र सह हस्तिमलजी तथा संघ भद्रंकरसूरिजी (2) कृत छाया, (गु.) अनु. (अ.19-36)} भाग 2 {गु., दे.ना.}
{876,919,957} 779 उत्तरज्झयणाणि {उत्त.सूत्र मूल} जैन विश्व भारती | अप्रदर्शित
2053 (2) 378 (E) (दे.ना.) {876} उत्तराध्ययनसूत्र (भगवान् महावीर का | सन्मति ज्ञानपीठ संपा.-चंदना साध्वी. 2053 (2) 510 (B) अंतिम उपदेश) {उत्त.सूत्र सह चंदनाजी आचार्या कृत (हिं.) अनु, टिप्पन)
(दे.ना.) [T] {876, 976) 781 मोक्षमार्ग (उत्त. अ. 28मुं) {उत्त.सूत्र के केवळ जिनदर्शन ट्रस्ट संशो.-धन्यमुनि कवि, 2054 (3) 525 (B)
केशव मुनिजी कृत (गु.) प्रव.118 {मणिगुरु पुष्प 42} संपा.-केवलमुनि (चिद्विलास)
| (अ.28वाँ)} {गु.} {999) 782 उत्तराध्ययन सूत्र {उत्त.सूत्र सह गुरुप्राण फाउन्डेशन प्रधान संपा.-लीलमबाई 2054- 1496+5343 अमिताबाई महासतीजी और सुमतिबाई {आगमबत्रीसी रत्न 2) महासतीजी
2060 (1) 1030 (B) महासतीजी कृत (गु.) शब्दार्थ, अनु., विवे.} भाग 1-2 {गु., दे.ना.} [s] {876, 932} उत्तराध्ययन-चयनिका {उत्त.सूत्र का प्राकृत भारती अकादमी, संपा.-कमलचंद सोगानी डॉ. 2054 (4) |136 (D) कमलचंद सोगानी डॉ. कृत अंशसंग्रह जैन श्वेतांबर नाकोडा (हिं.) अनु. युक्त} {दे.ना.} [T] पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर {1015)
{पुष्प 51) 784 | उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन 15) पार्श्व-पद्यावती जैन संक.-चंपकलाल सी.शाह, 2054 612 (P) (उत्त.सूत्र सह जेठालाल हरिभाई श्वे.मू.पू. तीर्थ, (P) जैन संपा.-विश्वचंद्रसूरि
(पु.मु.) शास्त्री (2) कृत छाया, (गु.) अनु. प्राच्य विद्याभवन (#) (अ.15)} विभाग 1 {दे.ना.} [T]
{876,917a, 951) 785 | उत्तराध्ययनसूत्र मूळ {उत्त.सूत्र मूल) आचार्यश्री विजय संपा.-सिंहसेनसूरि
2054 (अ.) 256 (D) {गु.) {876}
मेरुप्रभसूरीश्वरजी स्मारक ट्रस्ट(नेमिउदयमेरुप्रभसूरि ग्रंथमाला 31}
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