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प्रकाशन नाम एवं परिचय
अनु. } भाग 1-4 (गु., दे.ना. } {876, 948)
767 (सचित्र) उत्तराध्ययन सूत्र | (ILLUSTRATED)
क्र.
UTTARADHYAYANA SUTRA
{उत्त. सूत्र (सचित्र) सह अमरमुनिजी उप. कृत (हिं.) अनु. और उसका व्रजमोहनजी जैन डॉ. कृत (अं.) भाषां.} {दे.ना., रो.} {876, 962, 963)
768
उत्तराध्ययन सूत्र चिंतनिका । उत्त सूत्र का वाचंयमाश्रीजी कृत अंशसंग्रह (गु.) विवे. युक्त} {गु.} {1014}
1769 On Rahanemi [Chapter Xll of
the UTTARADHYAYANA
|SUTRA] {उत्त. सूत्र सह बी. के. खाडाबाडी कृत (अं.) अनु., शशिकांत झा कृत (हिं.) पद्यानु, चंदनाजी दर्शनाचार्या कृत अनु. ( अ. 22वाँ ) } {दे. ना., रो.} {876, 964, 976,988
770 उत्तराध्ययन सूत्र (उत्त सूत्र सह
भद्रंकरसूरिजी कृत छाया, (गु.) अनु. (अ. 18)} भाग 1 (गु., दे. ना.} {876, 919, 957)
771 उत्तराध्ययन सूत्रम् (उत्त. सूत्र सह निर्युक्ति, भाष्य, चूर्णि, भावविजयजी उपा., नेमिचंद्रसूरिजी, शांतिसूरिजी, लक्ष्मीवल्लभ उपा., कमलसंयम उपा. कृत टीकाएँ भाग 1-5 [ दे. ना.) [T. S] (876, 877, 878, 879, 880, 881, 883, 884, 885}
772 उत्तराध्ययन सूत्र ( उत्त. सूत्र मूल) [[दे.ना.] (876)
773 कमल दिव्य इन्दु स्वाध्याय सौरभ (उत्तराध्ययन सूत्र) (उत्त. सूत्र सह भद्रंकरसूरिजी (#) कृत छाया, (गु.) अनु. (अ. 18)} भाग 1 {गु., दे.ना. } {876, 919, 957}
774 पमाय द्वाणं प्रमादस्थानम्
(उत्तराध्ययन सूत्रनुं 32 मुं अध्ययन) {उत्त. सूत्र सह रविन्द्र मुनिजी (#) कृत छाया, (गु.) अनु., पद्यानु., विवे., (अं.) अनु. (अ.32वाँ)} {गु., रो.} {876, 924, 960, 980, 986}
30. उत्तराध्ययनसूत्र
प्रकाशक (ग्रंथमाला}
आत्मज्ञानपीठ
प्राकृत भारती अकादमी { पुष्प 87 }
लब्धिविक्रमसूरीश्वरजी संपा. राजवशसूरि संस्कृति केन्द्र, अमदावाद
भुवनभद्रंकर साहित्य प्रचार केन्द्र, मद्रास
संपादक, संशोधक आदि
अप्रदर्शित
संपा, अमरमुनिजी उपप्रवर्तक, 2048 (अ.) 578 (B) सह संपा. श्रीचंद सुराणा,
| चित्र. पुरुषोत्तमसिंह सरदार
प्रधान संपा. -विनयसागरजी महोपाध्याय,
| संपा. श्री. के. खडबडी डॉ.
हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा. -जिनेन्द्रसूरि (ग्रं. 260)
गढसिवाना तपागच्छ जैन संपा. जितेन्द्रसूरि संघ
अतुल मोहनलाल जैन
संपा. हेमप्रभसूरि
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
| संपा. विक्रमसेनविजयजी गणि 2049 (3)
अप्रदर्शित
2048 (2)
2049 (1)
20492051 (1)
2052 (1)
304 (D)
2052 (#) (अ.)
70 (D)
304 (C)
2050 (अ.) 332 (D)
834+630+ 576...= |3592 (P)
296 (D)
208 (D)