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28. बृहत्कल्पसूत्र
क्र.
प्रकाशन नाम एवं परिचय
प्रकाशक ( ग्रंथमाला) | संपादक, संशोधक आदि 678 बृहत् कप्पसूत्तं (वेदकल्प) (बृ.क. सूत्र जीवराज घेलाभाई दोशी संपा. जीवराज घेलाभाई दोशी | सह जीवराज घेलाभाई दोशी डॉ. कृत (गु.) शब्दार्थ, अनु.) (दे. ना.) [T, S] {840, 851}
डॉ.
679 बृहद्कल्प सूत्र (बृ. क. सूत्र सह अमोलकऋषिजी कृत (हिं.) अनु.) {दे. ना. } [T, S] [840, 853}
680 बृहत्कल्पसूत्रम् (बृ.क. सूत्र सह नियंक्ति मिश्रित भाष्य, मलयगिरिसूरिजी और क्षेमकीर्तिसूरिजी कृत टीका भाग 1-6 {दे. ना. } [T, S] [840, 841, 843} 681 बृहत्कल्प सूत्रम् सटीकम् (बृ.क. सूत्र | सह अज्ञात कर्तृक टीका} {दे.ना. } [T, S] [840, 844}
682 ब्रहत्कल्प सूत्र (छेद सूत्र) (गुजराती भाषांतर) (बृ.क.सूत्र का ठाकरसीभाई करसनजी शाह कृत (गु.) अनु. गु.) (854)
683 छेदसुत्ताणि कप्पसुत्तं (बृहत्कल्पसूत्र) {बृ.क. सूत्र सह कन्हैयालालजी मुनि कृत (हिं.) अनु., विवे} {दे. ना. } [T, S] {840, 858)
684 45-आगमसुत्ताणि (बृहत् कप्पो) (बृ.क.सूत्र मूल) (दे.ना. गु.) ( 840) 685 कप्प सुत्तं (बृहतकल्प सूत्र) (द्वितीय छेद सूत्र) (बृ.क.सूत्र मूल} {दे.ना.} {840)
686 आगम सुत्ताणि (सटीकं)
(बृहत्कल्पछेदसूत्रम्-1-3) (बृ. क. सूत्र सह भाष्य, मलयगिरिसूरिजी और क्षेमकीर्ति सूरिजी कृत टीका भाग 18, 19, 20 (दे. ना., गु.} [s] (840, 841, 843}
687 बृहत्कल्पसूत्रम् (बृहत् कल्पसूत्रम्) {बृ.क.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.} [S] (840)
688 बृहत्कल्पभाष्यम् (बृ.क. सूत्र सह भाष्य, दुलहराजजी मुनि कृत (हिं.) भाष्यानु.} भाग 1-2 (दे. ना. } [T, S] (840, 841, 862}
राजा बहादुर लालासुखदेव संपा. अमोलकचषि सहायजी ज्वालाप्रसादजी
जौहरी
आत्मानंद जैन सभा,
भावनगर ( रत्न 82 }
| सम्यग्ज्ञान प्रचारक मंडळ संपा. हस्तिमलजी आचार्य
जगजीवन रतनशीभाई बगडीया
आगम श्रुत प्रकाशन
आगम अनुयोग ट्रस्ट, अमदावाद
आगम अनुयोग प्रकाशन, संपा. कन्हैयालालजी मुनि | सांडेराव (पुष्प 13}
(कमल)
आगम श्रुत प्रकाशन
जैनानंद पुस्तकालय
संशो. चतुरविजयजी, संपा. पुण्यविजयजी | (आगमप्रभाकर)
जैन विश्व भारती
689 बृहत्कल्पसूत्रम् (पीठिका:) (बृ.क. सूत्र प्राकृत ग्रंथ परिषद निर्युक्ति मिश्रित भाष्य सह अज्ञात
संपा. ठाकरसीभाई करसनजी शाह (#)
संशो. संपा दीपरत्नसागरजी
"
संयो. विनयकुमारजी मुनि संपा. कन्हैयालालजी मुनि
(कमल)
संशो. संपा. दीपरत्नसागरजी
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
1971 (1) 142 (P)
1976 (3T.) 100 (P)
"
संशो. संपा. शीलचंद्रसूरि, रूपेन्द्रकुमार पगारिया
1989
1998 (1)
2000 (#) (अ.)
2034 (1)
2027 (3T.) 66 (C)
2056 (2)
| संपा. पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व 2061 (1) संशो. पूर्व संपा. सागरानंदसर
"
304+400+ 360...=
| 2250 (B)
2052 (3T.) 24 (C)
प्रधान संपा. - महाप्रज्ञजी आचार्य, 2063 (1) संपा. दुलहराजजी मुनि
148 (C)
2064 (1)
218 (C)
2056 (3T.) 528+512+ 448=1488 | (c)
106 (E)
36 (P)
446+472= 918 (B)
248 (B)