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आगम प्रकाशन परिचय
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प्रकाशन नाम एवं परिचय
600 चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र {चंद्र.सूत्र सह
अमोलकऋषिजी कृत (हिं.) अनु.)
{दे.ना.) {641,645) 601 चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रम् {चंद्र.सूत्र सह
घासी.कृत छाया, टीका} {दे.ना.}
{641, 643, 644) 602 45-आगमसुत्ताणि (चंद पन्नत्ती)
{चंद्र.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.} [3] {641} चन्द्र प्रज्ञप्तिसूत्रम् {चंद्र.सूत्र मूल} (दे.ना.} [S] {641) चंद्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् {चंद्र.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.) [S] {641}
प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 18. चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र (600-605) राजा बहादुर लालासुखदेव संपा.-अमोलकऋषि (#) 1975 (अ.) |422 (P) सहायजी ज्वालाप्रसादजी जौहरी अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो.-कन्हैयालालजी मुनि 2029 (1) |724 (B) स्थानकवासी जैन शास्त्रोद्धार समिति आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2052 (अ.) 72 (C)
64 (P)
हर्षपुष्यामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2060 (1) {ग्रं. 416) जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, पूर्व 2061 (1)
संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि
604
106 (P)
संशो., संपा.-रत्नबोधिविजयजी |2069 (1)
605 चंदपण्णत्तिसुत्तं चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रम्
{चंद्र.सूत्र सह मलय.टीका} भाग 1-2 {दे.ना., गु., रो.} [T, S] {641, 642}
महावीर जैन विद्यालय (जैन आगम ग्रंथमाला ग्रं. 11 (1)}
1488+336%D 824 (B)
19.निरयावलिकासूत्र (606-608) |606 निरयावलिका कल्पिकासूत्रम् {निर.सूत्र हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2050 (1) 32 (P)
सह श्रीचंद्रसूरिजी कृत टीका} {दे.ना.} |{I. 280)
[S] {647, 648} 607 |45 आगमसुत्ताणि (निरयावलियाणं) आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी | 2052 (अ.) 20 (C)
| (निर.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.) [s]
{647) 608 निरयावलिका सूत्रं {निर.सूत्र मूल} जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, | 2061 (1) 32 (P) {दे.ना., गु.) [S] {647}
पूर्व संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि
20. कल्पावतंसिकासूत्र (609-611) |609 निरयावलिका -कल्पवडिंसका-सूत्रम् हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2050 (1) 8 (P)
{कल्पाव.सूत्र सह श्रीचंद्रसूरिजी कृत {ग्रं. 281}
टीका} {दे.ना.} [S] {672, 673} 610 45 आगमसुत्ताणि (कप्पवडिंसियाणं)
संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2052 (अ.) 12 (C) | {कल्पाव.सूत्र मूल} {दे.ना., गु.} [s]
| 1672) 611 कप्पवडिंसिया सूत्रं (कल्पाव.सूत्र मूल) |जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, 2061 (1) |12 (P) | {दे.ना., गु.) [S] {672}
पूर्व संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि
21. पुष्पिकासूत्र (612-614) आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2052 (अ.) |20 (C)
612 45-आगमसुत्ताणि (पुष्फियाणं)