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17. जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
प्रकाशक {ग्रंथमाला)
संपादक, संशोधक आदि
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
592
आगम श्रुत प्रकाशन
संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2056 (अ.) |560 (C)
क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय
{दे.ना.} [T, S] {623, 625} आगम सुत्ताणि (सटीक) जिम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-उपागसूत्रम्] {जंबू.सूत्र सह शांतिचंद्रजी उपा. कृत टीका) भाग 13 {दे.ना., गु.} [S]
{623, 625) 593 जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(JAMBOODWEEP PRAGNAPTI SUTRA] {जंबू.सूत्र सह मुक्ताबाई महासतीजी कृत (गु.) अनु., विवे.)
{गु., दे.ना.} {623, 637} 594 |जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रं (जंबू.सूत्र मूल)
{दे.ना., गु.) [S] {623}
गुरुप्राण फाउन्डेशन,
2058 (1)
696 (B)
{आगमबत्रीसी रत्न 17}
प्रधान संपा.-लीलमबाई महासतीजी, सहसंपादिका-आरतीबाई महासतीजी डॉ., सुबोधिकाबाई साध्वी
595 जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सूत्र {जंबू.सूत्र सह
छगनलालजी शास्त्री और महेन्द्रकुमारजी रांकावत कृत (हिं.) । अनु.} {दे.ना.} [T] {623, 633}
जैनानंद पुस्तकालय संपा.-पूर्णचंद्रसागरजी गणि, 2061 (1) 222 (P)
पूर्व संशो., पूर्व
संपा.-सागरानंदसूरि अखिल भारतीय सुधर्म संपा.-नेमिचंदजी बांठिया, 2063 (2) 496 (B) जैन संस्कृति रक्षक संघ पारसमल चण्डालिया (रत्न 119)
2063 (1)
640 (B)
प्रधान संपा.-अमरमुनिजी उपप्रवर्तक, सह संपा.-श्रीचंद सुराणा, चित्र.-त्रिलोक शर्मा डॉ.
संपा.-सागरानंदसूरि
2065 (पु.मु.)
390 (P)
596 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (सचित्र) पद्म प्रकाशन, दिल्ली
[ILLUSTRATED JAMBUDVEEP | {सचित्र आगममाला | PRAJNAPTI SUTRA] {जंबू.सूत्र पुष्प 20) (सचित्र) सह अमरमुनिजी उप. कृत (हिं.) अनु. और उसका राजकुमार जैन कृत (अं.) भाषां.} {दे.ना., रो.}
{623, 634, 635) 597 जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः (पूर्वभागः) {जंबू.सूत्र आगमोद्धारक श्रुतसेवा
|सह शांतिचंद्रजी उपा. कृत टीका समिति, (P) देवचंद (वक्ष.4)} {दे.ना., गु.) [T,S] लालभाई जैन पुस्तकोद्धार {623, 625)
फंड {श्रेणी 29) 598 जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः {जंबू.सूत्र सह जिनशासन आराधना
शांतिचंद्रजी उपा. कृत टीका) भाग 1-2 ट्रस्ट, (P) आगमोदय {दे.ना.} [T, S] {623, 625) समिति {प्राचीन श्रुत
समुद्धार पद्ममाला,
पद्म 28) 599 आगम सटीक अनुवाद
|श्रुत प्रकाशन निधि (जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-1-3) {जंबू.सूत्र का दीप.कृत (गु.) अनु., शांतिचंद्र उपा. कृत टीकानुसारी विवे.} भाग-25, 26, 27 {गु.} {636, 640)
पूर्व संशो., पूर्व संपा.-सागरानंदसूरि (#)
2065 (प.म.)
400+182% 582(P)
संपा.-दीपरत्नसागरजी (#)
2066 (अ.) | 208+208+
208%3D624
(C)