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10. प्रश्नव्याकरणसूत्र
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क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
प्रश्नव्याकरणसूत्रम् {प्रश्न.सूत्र सह हस्तिमल्लजी सुराणा संशो.-शशिकांत झा, 2006 (अ.) 460 (B) हस्तिमलजी मुनि कृत छाया, (हिं.)
संपा.-हस्तिमलजी आचार्य अन्व-भावार्थयुक्त} {दे.ना.} [T, S]
{451, 458,462) 442 प्रश्नव्याकरणसूत्र {प्रश्न.सूत्र का लाधाजी स्वामी जैन संपा.-छोटालालजी मुनि (#) 2012 (3) 172 (D)
छोटालालजी मुनि कृत (गु.) अनु.) पुस्तकालय {मणको 22}
{गु.} {465) 443 |प्रश्नव्याकरणसूत्रम्
अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो.-कन्हैयालालजी मुनि 2018 (1) 411 (B) [PRASHNAVYAKARANA स्थानकवासी जैन SUTRAM] {प्रश्न.सूत्र का घासी. कृत शास्त्रोद्धार समिति (गु.) स्वोपज्ञ टीकानु.} {गु., दे.ना.}
{476) 444 प्रश्नव्याकरणसूत्रम्
अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो.-कन्हैयालालजी मुनि 2018 (1) 1000 (B) [PRASHNAVYAKARANA स्थानकवासी जैन SUTRAM] {प्रश्न.सूत्र सह घासी. शास्त्रोद्धार समिति कृत टीका, (हिं., गु.) स्वोपज्ञ टीकानु.} {दे.ना., गु.} {451, 460, 475, 476) प्रश्नव्याकरण सूत्र (आश्रव और संवर सन्मति ज्ञानपीठ संपा.-अमरमुनिजी उपप्रवर्तक 2030 (अ.) 932 (C) का गंभीर विवेचन) {प्रश्न.सूत्र सह हेमचंद्रजी मुनि कृत छाया, (हिं.) शब्दार्थ, अनु., विवे.} {दे.ना.} [T, S]
{451, 459,461} 446 प्रश्नव्याकरणसूत्र {प्रश्न.सूत्र सह अखिल भारतीय सुधर्म अप्रदर्शित
2031 (1) 444 (B) रतनलाल डोशी कृत (हिं.) अन्व., जैन संस्कृति रक्षक संघ अनु., विवे.} {दे.ना.} [T, S] {451, (रत्न 52}
463} 447 प्रश्नव्याकरणांगसूत्रम् {प्रश्न.सूत्र सह मणिलाल बुलाखीदास संशो.-सागरानंदसूरि, 2038 (अ.) 220 (P) अभय.टीका} {दे.ना.) [s]
शाह, (P) आगमोदय । संपा.-हिमांशुसागर पंन्यास {451, 452}
समिति 448 प्रश्नव्याकरण {प्रश्न.सूत्र का
विद्याविजयजी स्मारक संपा.-पूर्णानंदविजयजी पंन्यास 2041 (अ.) 680 (D) पूर्णानंदविजयजी पं. कृत (गु.) विवे.) ग्रंथमाला
{गु.} {477) 449 प्रश्नव्याकरण दशा सूत्रम् {प्रश्न.सूत्र हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला संशो., संपा.-जिनेन्द्रसूरि 2045 (1) 330 (P)
सह अभय.टीका) (दे.ना.} | {ग्रं. 187}
1451,452) 450 प्रश्नव्याकरणसूत्रम्
आगम प्रकाशन समिति, संशो., संपा.-शोभाचंद्रजी 2049 (2) 356 (B) [PRASHNAVYAKARANA SUTRA] | ब्यावर (जिनागम भारिल्ल, पूर्व संयो., प्रधान । (प्रश्न.सत्र सह प्रवीणऋषिजी कृत ग्रंथमाला ग्रंथांक 17 मंपामिश्रीमलजी मनि (हिं.) अनु., शोभाचंद्रजी भारिल्ल पं. कृत (हिं.) विवे.} {दे.ना.} [T, S]
{451, 468, 478} 451 45 आगमसुत्ताणि (पण्हावागरणं) | आगम श्रुत प्रकाशन संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2052 (अ.) 40 (C)
{प्रश्न.सूत्र मूल) (दे.ना., गु.} [s] {451}