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क्र.
प्रकाशन नाम एवं परिचय
|{दे.ना., गु. } [S] (78}
144 सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक
अध्ययन (सू. कृ. सूत्र का नीलांजना साध्वी कृत (हिं.) शोधग्रंथ) (दे.ना. [T] (135)
}
145 JAINA SUTRAS
| SUTRAKRUTANGA {सू. कृ. सूत्र का हर्मन जेकोबी डॉ. कृत (अं.) अनु.) {रो.} [T] (105)
148 सूचगडांग सूत्र (सु. कृ. सूत्र सह | नेमिचंदजी बांठिया कृत (हिं.) शब्दार्थ, अनु., विवे. } भाग 1-2 (दे. ना. } [T] {78, 97}
148 सूयगडांगसूत्रना सथवारे (सू. कृ. सूत्र) { सू. कृ. सूत्र के समय अध्ययन के कीर्तियशसूरिजी कृत (गु.) प्रव. 33. रूपविजयजी कृत पूजा आदि } भाग 1-3 (गु.) (134, 1564, 1570)
149 सूत्रकृताङ्ग सूत्र (अक्षरगमनिका) (प्रथमः श्रुतस्कंध:) (सू. कृ. सूत्र सह कुलचंद्रसूरिजी कृत टीका (खु.)) {दे.ना.} {78,93)
150 सूयगडंगसुतं (suyagadangasutta) [सू.कृ. सूत्र सह नियुक्ति, चूर्णि (श्रु. 1)} भाग 1 (दे.ना. } [T, S] {78, 79, 80)
151 महावीरस्वामीनो संयमधर्म [जैन आगम “सूत्रकृतांग" नो छायानुवाद] {सू. कृ. सूत्र का गोपालदास जीवाभाई पटेल कृत (गु.) अनु.} {गु.} [T] {108}
आगम प्रकाशन परिचय
147 सूपगडो (सू.कृ. सूत्र सह महाप्रज्ञजी कृत जैन विश्व भारती छाया (हिं.) अनु, टिप्पन) (दे.ना.) [T, S] [78, 91, 120 }
| प्रकाशक (ग्रंथमाला}
153 सूत्रकृताङ्गचूर्णिः सू. कृ. सूत्र की
चूर्णि} {दे.ना., गु.} [s] {80 }
भाईजी प्रकाशन,
| जिनकांतिसागरसूरि
स्मारक ट्रस्ट
Shree Publishers & Distributors
अखिल भारतीय सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ
{ रत्न 89 }
प्राकृत ग्रंथ परिषद {ग्रंथांक 19 }
विद्यापीठ
सन्मार्ग प्रकाशन (प्रवचन अप्रदर्शित | प्रभावक ग्रंथमाळा 18}
गूजरात (पूंजाभाई जैन ग्रंथमाला 10)
152 सूत्रकृताङ्गम् (सू. कृ. सूत्र सह
आगमोद्धारक श्रुतसेवा
निर्युक्ति, शीलांकी टीका} {दे.ना., गु.} समिति, (P) आगमोदय [T, S] [78, 79, 81 }
समिति (श्रेणी 23}
संपादक, संशोधक आदि
पूर्व संशो. पूर्व संपा. सागरानंदसूर
संपा. नीलांजना साध्वी डॉ. (#) 2061 (1) | 426 (C)
जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघा न्यायरत्नविजयजी, संघ, मढी.
| संपा. Kanhaiyalal Chancharik, Mahesh K. Jain Dr.
| संपा. नेमिचंदजी बांठिया, | पारसमल चण्डालिया
| केशरीमलजी जैन
| श्वेतांबर संस्था (stuft 30}
संपा. महाप्रज्ञजी आचार्य
रत्नचंद्रविजयजी, | हेमप्रभविजयजी
संशो. संपा. पुण्यविजयजी
(आगमप्रभाकर)
संपा. गोपालदास जीवाभाई पटेल
संपा. सागरानंदमूरि
आगमोद्धारक श्रुतसेवा | संपा. सागरानंदसूरि
समिति, (P) ऋषभदेव
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
2062 (3T.) 204 (C)
2062 (2)
2062 (3) 820 (B)
2062 (1)
2063 (1)
2063 (पु.मु.)
2064
(पु.मु.)
2065
(पु.मु.)
2065
(पु.मु.)
336+224= 560 (B)
297+289+ 278-864 (c)
160 (C)
| 260 (B)
105
276 (D)
436 (P)
475(P)