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आगम प्रकाशन परिचय
97
क्र.
संपादक, संशोधक आदि संक.-पुण्यधनविजयजी
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2055 (1) 280+2483
|528 (E)
संपा.-विक्रमसेनविजयजी गणि |2055 (अ.) |369 (C)
संपा.-विक्रमसेनविजयजी गणि 2055- 108+176%=
|2059 (अ.) 284 (E) संयो.-चंद्रकांत एम.शेठ | 2055 (अ.) 278 (C)
67
संशो., संपा.-दीपरत्नसागरजी |2056 (अ.) |464 (C)
प्रकाशन नाम एवं परिचय
प्रकाशक {ग्रंथमाला) आचारांगसूत्रम् {आचा.सूत्र मूल) भद्र आनंद ग्रंथमाला भाग 1-2 {गु.} {1} आचारांगसूत्र (प्रथम श्रुतस्कंथ) भुवनभद्रंकर साहित्य {आचा.सूत्र सह कुलचंद्रसूरिजी कृत प्रचार केन्द्र, मद्रास टीका, विक्रमसेनविजयजी कृत (गु.) अन्व., (गु., हिं.) विवे. [श्रु.1]} {दे.ना., गु.} {1, 18, 23, 60} आचारांगसूत्र {आचा.सूत्र मूल) भुवनभद्रंकर साहित्य भाग 1-2 {दे.ना., गु.} {1}
प्रचार केन्द्र, मद्रास जैनागम नवनीत प्रश्नोत्तर (आचारांग महावीर सेवा ट्रस्ट, सूत्र संपूर्ण) {आचा.सूत्र के
राजकोट तिलोकमुनिजी कृत प्रश्नोत्तर का {जैनागम नवनीत नरेशचंद्रजी मुनि आदि कृत (गु.) प्रश्नोत्तर पुष्प 3-4} भाषां.} {गु.} {66} आगम सुत्ताणि (सटीकं)
आगम श्रुत प्रकाशन [आचाराङ्गसूत्रम्] {आचा.सूत्र सह नियुक्ति, शीलांकी टीका) भाग 1 {दे.ना., गु.} {1, 2, 4} | आचारांगसूत्र सचित्र {आचा.सूत्र सह पद्म प्रकाशन, दिल्ली अमरमुनिजी उप. कृत (हिं.) अनु., विवे. |{सचित्र आगममाला और उसका सुरेन्द्र बोथरा कृत (अं.) पुष्प 8} भाषां., सचित्र) भाग 1-2 {दे.ना., रो.} [T] {1, 46, 47} | आचारांग और महावीर (आयारोका जैन विश्व भारती आचारमीमांसात्मक विश्लेषण) {आचा.सूत्र आधारित शुभ्रयशा साध्वीजी डॉ. कृत आचार की गहरी मीमांसा और विश्लेषणात्मक (हिं.) शोधग्रंथ} {दे.ना.} [T, S] {77) ACHARANGA-BHASYAM जैन विश्व भारती {आचा.सूत्र सह महाप्रज्ञजी के अनु.
और दुलहराजजी के भाष्यान. का नथमलजी टाटिया डॉ. आदि कृत (अं.) भाषां. [श्रु.1]} {रो.) [T, S] {1,35,55)
68
2056 (1)
प्रधान संपा.-अमरमुनिजी उपप्रवर्तक, संपा.-श्रीचंद सुराणा
528+600= 1128 (B)
69
संपा.-शुभ्रयशा साध्वीजी डॉ.
2057 (1)
444 (C)
70
2057 (1) |620 (C)
संयो.-महाश्रमणजी आचार्य, संपा.-Nathamalji Tatia Dr., दुलहराजजी मुनि, महेन्द्रकुमारजी मुनि (द्वितीय)
300 (C)
आचारांग-शीलांकवृत्ति : एक अध्ययन प्राकृत भारती अकादमी, प्रधान संपा.-विनयसागरजी |2057 (1) {आचा.सूत्र की शीलांकी टीका में | पुष्कर गुरु साधना केन्द्र महोपाध्याय, प्रतिपाद्य विषयवस्तु का अध्ययन प्रकाशन (पुष्प 137) संपा.-राजश्री साध्वीजी डॉ. (23) अनुसार वर्णन एवं दार्शनिक-सांस्कृतिक-भाषात्मकआचार आदि विविध दृष्टिकोण से विवेचन स्वरूप (हिं.) शोधग्रंथ} {दे.ना.} [s] (76} अभ्युदय आगम सुत्ताणि [आयारो] रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो.-जितरत्नसागरसूरि, 2057 (1) {आचा.सूत्र मूल} भाग 1 {दे.ना.}
संशो.-दीपरत्नसागरजी,
172
131 (E)