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प्रकाशन नाम एवं परिचय
पटेल कृत (गु.) अनु.} {गु.} [T] {29 }
आचारांगसूत्र : एक अध्ययन {आचा. सूत्र का परिचय एवं भाषासमाज-संस्कृति राज्य दार्शनिकधार्मिक आदि दृष्टिकोण से विवरणात्मक परमेष्ठीदास जैन कृत (हिं.) अध्ययन) (दे.ना. } [T, S] {74}
आचारांग सूत्र चिंतनिका ( आया. सूत्र | का वाचंयमाश्रीजी कृत अंशसंग्रह (गु.) विवे. युक्त} {गु.} (70}
आचारांग सूत्र [प्रथम श्रुतस्कन्ध] { आचा. सूत्र मूल [श्रु. 1]} {दे.ना. } [[S] {1}
| आचारांगसूत्र {आचा. सूत्र सह श्रीचंद सुराणा कृत (हिं.) अनु., विवे.) भाग 1-2 (दे. ना. } [T, S] {1, 45)
आचारागसूत्रदीपिका (प्रथम श्रुतस्कंध:) आचा. सूत्र सह | अजितदेवसूरिजी कृत दीपिका टीका [श्रु.1]] [ दे.ना.) [8] (1.6)
आयार-सुत्तं ( आचा. सूत्र सह प्राकृत भारती अकादमी, चन्द्रप्रभसागरजी महो. कृत (हिं.) अनु. जितयशा श्री फाउंडेशन, [श्रु.1]] देना.) (1,33)
जैन श्वेतांबर नाकोडा | पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर { पुष्प 68 }
आगम अनुयोग ट्रस्ट,
अमदावाद
आचाराङ्गसूत्रम् ( आचा. सूत्र सह जिनहंससूरिजी कृत टीका, यशोविजयजी महो. आदि कृत सज्झाय, पूजा-5) भाग 1-2 {दे.ना., गु.) [T, S] [1, 5, 10, 1564, 1565, 1569, 1570}
आचारांगभाष्यम्
आगम प्रकाशन परिचय
[[ACHARANGABHASHYAM] आचा. सूत्र सह राजेन्द्रकुमारजी मुनि और श्रीचंदजी मुनि कृत छाया महाप्रज्ञजी कृत (हिं.) अनु., (सं.) भाष्य, दुलहराजजी मुनि कृत (हिं.) भाष्यानु. |[श्रु. 1]} {दे.ना., रो.) [T, S] {1, 14, 16, 40, 54)
अस्तित्व का मूल्यांकन (मोलिक
| प्रकाशक ( ग्रंथमाला)
पार्श्वनाथ विद्यापीठ { पार्श्व विद्या. ग्रंथ. 37 }
लब्धिविक्रमसूरीश्वरजी संपा. राजपशसूरि संस्कृति केन्द्र
आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर {जिनागम ग्रंथमाला ग्रंथांक 1 }
जिनशासन आराधना ट्रस्ट, (P) मणिविजयजी गणिवर ग्रंथमाला | आगम
प्रकाशन माला 26 }
संपादक, संशोधक आदि
संपा. सागरमल जैन डॉ.
जैन विश्व भारती
संशो. उदयचन्द जैन डॉ., संपा. चंद्रप्रभसागरजी महोपाध्याय
संयो. - विनयकुमारजी मुनि, | दिव्यप्रभा साध्वी डॉ.
| संशो-तिलोक मुनि, | संपा. कन्हैयालालजी मुनि संयो, प्रधान संपा. मिश्रीमलजी मुनि, संपा. शोभाचंद्रजी भारिल्ल, श्रीचंद सुराणा
पूर्व संशो. कुमुदसूरि
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद)
संपा. महाप्रजी आचार्य
2044 (1) 214 (C)
2044 (1)
2045 (अ.) 238 (C)
2046 (2) | 168 (E)
20462047 (2)
जिनशासन आराधना ट्रस्ट संशो., संपा. -महाबोधिविजयजी 2049{ आगम प्रकाशन माला 32 }
2052 (1)
पंन्यास
2047 (पु.मु.)
324 (C)
2050 (1)
प्राकृत भारती अकादमी, संपादिका मुक्तिप्रभा साध्वी डॉ. (#) 2051 (1)
424+512= 936 (B)
244 (P)
95
496+300= 796 (P)
584 (B)
| 372 (C)