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________________ 68 क्र. स्वरूप 1205 1206 1207 विवे. (9) 1208 1209 मूल (1) 1210 टीका (2) 1211 अवचूरि (3) 1212 1213 बा. बो. (4) 1214 छाया (5) 1215 1216 1217 1218 अनु. (6) 1219 1220 1221 1222 1223 पे. कर्ता 8 दीपरत्नसागरजी 9 | कीर्तियशसूरि (#) 1 चंद्रोदयसागरजी 2 दीपरत्नसागरजी भुवनतुंगसुरि 1 सोमसुंदरसूरि 2 गुणरत्नसूर 1 2 अज्ञात 2 अजितसागरसूरि 3 सागरानंदसूरि (#) 4 अज्ञात 35. आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकसूत्र (1209-1227) वीरभद्रगणि वी. सं. पूर्व 20 वर्ष अज्ञात अज्ञात अज्ञात 3 अजितसागरसूरि 34. चतुः शरणप्रकीर्णकसूत्र संवत fa. 2058P fa. 2064P fa. 2019 4 कनकचंद्रसूरि 5 नरेन्द्रसागरसूरि (#) 6 दीपरत्नसागरजी fa. 2066P fa. 1380# fa. 1450# fa. 1484# fa. 1957P fa. 1977P fa. 1983P fa. 2066P fa. 1957P fa. 1962P fa. 1977P fa. 1997P कृति विशेषनाम* भाषा*गद्य-पद्यपरिमाण* आदि अंत*प्र.क्र. (हिं.) *गद्य * (गाथा 63) (1473) fa, 2039P fa. 2053P (गु.) *गद्य * (गाथा 63) (1027) (गु.) * गद्य * (गाथा 63) ( (मंगला.) प्रणम्य श्रीसुव्रततीर्थराजं, गुरुंश्च... वीरभद्रमुनि सूचवे छे।163।।} {1440 } 'सोमसुंदरसूरिजी कृत टीकानुसारी विवे.' * (गु.) * गद्य * (गाथा 63) (1537} (प्रा.) * पद्य, गद्य * सूत्र 71 ग्रं. 100 { देसिक्कदेसविरओ सम्मद्दिट्ठी मरिज्ज... लोगस्सुज्जोयगरो (अगरो) दिसउ खयं सव्वदुक्खाणं । 171 । 1} {1028 1029, 1030, 1345, 1346, 1350, 1360, 1361, 1364, 1369, 1376, 1379, 1385, 1399, 1410, 1415, 1416, 1417, 1423, 1426, 1430, 1432, 1435, 1436, 1437, 1439, 1440, 1449, 1450, 1451, 1465, 1480, 1482, 1484, 1510, 1523=36} (सं.) * गद्य * (सूत्र 71), प्रशस्ति श्लोक -4 ग्रं. 850 {नत्वा वीरजिनं वक्ष्ये... स एव कर्त्तेति ।।} {1030, 1489 } (सं.) *गद्य * (सूत्र 71) {इह सर्वेषां जीवानां... ..एव कर्तेति भावः ||} {1030 } (सं.) * गद्य * (सूत्र 71) (देशस्य त्रसकायस्यैकदेशः । सङ्कल्पजनिवृत्तिरूपस्तस्यापि ... सर्वदुरितानां सर्वपापानां सर्वकर्मणामित्यर्थः ||} {1030, 1523 (मा.गु.) * गद्य * (सूत्र 71) ( इह जगमांहि समस्त... वीर शब्द जाणवो ||} {1030 } (सं.) * पद्य, गद्य * (सूत्र 71) (1416) (सं.) * पद्य, गद्य * (सूत्र 70) {1423, 1465} (सं.) * पद्य, गद्य * (सूत्र 70) {1426, 1480 1484 } (सं.) * पद्य, गद्य * (सूत्र 71) {1030 } 'शब्दार्थयुक्त' * (गु.) * गद्य * (सूत्र 70) {1415, 1416 } (गु.) *गद्य * (सूत्र 70) (1417, 1437, 1450, 1451} (गु.) * गद्य * (सूत्र 70) ( छ कायनी हिंसानो...दुःखोनो क्षय बताओ | 17011} {1423, 1427, 1430, 1432, 1439, 1465, 1482=7} 'स्पष्टीकरणयुक्त' * (गु.) * गद्य * (सूत्र 70 ) {1435, 1436) (गु.) *गद्य * (सूत्र 70) {1449) (गु.) *गद्य * (सूत्र 71) {1463, 1537 }
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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