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33. पिंडनियुक्तिसूत्र
क्र. स्वरूप
पे. | कर्ता
संवत्
1172
4 | माणिक्यशेखरसूरि
1173 अवचूरि (4)
क्षमारत्नमुनि
| कृति विशेषनाम भाषा*गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंत*प्र.क्र. जिनवर्द्धमानः परहितनिरतो...नामनिक्षेपः, तदभिधानाच्चाभवत्परिपूर्णा पिण्डनियुक्तिरिति।} {1007, 1010, 1011,
1012, 1015, 1520=6} वि. 1471# | 'दीपिका', पिंड.सूत्र और भाष्य की दीपिका टीका * (सं.) *
गद्य * (गाथा 65, 586-671), प्रशस्ति श्लोक-4 ग्रं.2832 {श्रीआचारांगे द्वितीयश्रुतस्कन्धे आद्यं...तदभिधानात् समाप्ता
परिपूर्णा पिण्डनियुक्तिरिति।।) {1008, 1011) वि. 1450# | पिंड.सूत्र और भाष्य की अवचूरि * (सं.) * गद्य * (गाथा
671+373708), प्रशस्ति श्लोक-3 ग्रं.3001 {पिण्ड
आहारविषये उद्गम...भवति निर्जराफला।।67111) {1008,
1011) | वि. 1691 आहार 47 दूषण सज्झाय * (मा.ग.) * पद्य * गाथा 52 (साध
निमित्त छज्जीव...ए सझाय कहइ।।5211) (1774} वि. 2018P (गु.) * गद्य * (गाथा 671) {1009, 1017) वि. 2053P | पिंड.सूत्र और भाष्य का संमिलित अनु. * (गु.) * गद्य * (गाथा
713) {1460) वि. 2058P | पिंड.सूत्र और भाष्य का संमिलित अनु. * (हिं.) * गद्य * (गाथा
713) {1475) वि. 2064P | (हिं.) * गद्य * (गाथा 671) {1014} वि. 2066P 'विशेष स्पष्टीकरणयुक्त' * (गु.) * गद्य * (गाथा 671)
{1541) वि. 2018P | (गु.) * गद्य * (गाथा 46) {1009, 1017)
1174 सज्झाय (5)
समयसुंदरजी उपाध्याय
1175 अनु. (6)
1 हंससागरसूरि | 2 | दीपरत्नसागरजी
1176
1177
3 | दीपरत्नसागरजी
1178
दुलहराजजी मुनि 5 दीपरत्नसागरजी
1179
180 भाष्यानु.
हंससागरसूरि
(7)
1181
वि. 2064P
2 | दुलहराजजी मुनि
हंससागरसूरि
1182 टीकानु. (8)
वि. 2018P
1183 विवे. (9) 1184 अंशसंग्रह
(10)
दीपरत्नसागरजी नित्यानंदविजयजी पं.
वि. 2066P वि. 2022P
| (हिं.) * गद्य * (गाथा 46) {1014) मलय. टीकानु. * (गु.) * गद्य * (गाथा 671) {1009, 1017} | मलय. टीकानुसारी * (गु.) * गद्य * (गाथा 708) {1541) पिंड.सूत्र एवं पिंडविशुद्धि प्रकरण का अंशसंग्रह - सविवेचन * (गु.) * गद्य * (गाथा 107) {1704, 1706, 1723} | "पिंडनियुक्ति : एक पर्यवेक्षण' * (हिं.) * गद्य * (गाथा 671) {1014)
1185 शोधग्रंथ
(11)
कुसुमप्रज्ञाश्रीजी डॉ.
1186 मूल (1)
34. चतुःशरणप्रकीर्णकसूत्र (1186-1208) वीरभद्रगणि
वी. सं. पूर्व | कुसलाणुबंधि अज्झयणम् * (प्रा.) * पद्य * गाथा 63 ग्रं.80 20 वर्ष {सावज्जजोगविरई उक्कित्तण गुणवओ...इति कुसलाणुबंध
ज्झयणं सम्मत्तं ।।) {1019, 1020, 1021, 1022, 1023, 1024, 1025, 1026, 1027, 1345, 1346, 1350, 1356, 1360, 1361, 1363, 1364, 1369, 1376, 1379, 1393,