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आगम कृति परिचय
क्र. स्वरूप
कर्ता
संवत्
5 | मलयगिरिसूरि
वि. 1150#
| 6 | तिलकसूरि
वि. 1296#
|7| माणिक्यशेखरसूरि
वि. 1471#
कृति विशेषनाम*भाषा गद्य-पद्य परिमाण आदि-अंतप्र.क्र. कारस्थितिः...इति नेह गणितानि।।) 1956, 968, 970, 974, 989,172736) (सं.)* गद्य * (गाथा 1099) ग्रं.18000 (पान्तु वः पार्श्वनाथस्य, ... नामतः कुन्थुजिनः।। साम्प्रतमरः।।) {964,977,992, 997, 100435) (सं.) * गद्य, पद्य * (गाथा 1622) ग्रं.12325 (देवः श्रीनाभिसूनुर्जनयतु स...तावदेषा मरालीव खेलतात्कृतिमानसे।।) {971,998} 'आवश्यकनियुक्ति दीपिका', आव.सूत्र, आ.नि. और भाष्य की टीका * (सं.) * गद्य, पद्य * (गाथा 1617), प्रशस्ति श्लोक-4 ग्रं.11750 {नत्वा श्रीवीरजिनं तदनु...रत्नत्रयाराधनपरः साधुः। इति।।} {967, 979, 991, 1002=4} (सं.) * गद्य * (अ. 6-नि.गा. 1637), प्रशस्ति श्लोक-2 ग्रं.7885 (प्रेक्षावतां प्रवृत्त्यर्थं आदौ...यस्मात् सर्वनया भावनिक्षेपमिच्छन्ति।।) {971, 994) 'प्रदेशव्याख्या टिप्पण', हारि. टीका का टिप्पण * (सं.) * गद्य * (गाथा 1623),प्रशस्ति श्लोक-2 ग्रं.4600 {जगत्त्रयमतिक्रम्य, स्थिता यस्य... तत्समाप्तौ श्रीमदभयदेवसूरिचरणाम्बुजचञ्चरीकश्रीहेमचन्द्र- सूरिविरचितमावश्यकवृत्तिप्रदेशव्याख्यानकं समाप्तमिति।।) {959, 976, 1003, 1005=4}
1128 | अवचूरि (6) | | ज्ञानसागरसूरि भट्टारक
|वि. 1440#
1129 टिप्पण (7)
हेमचंद्रसूरि (मलधारी)
वि. 1164#
| 1130 स्तवन (8) |1| विनयविजयजी उपाध्याय | वि. 17292
1131
2 | धर्मवर्द्धनजी
वि. 1753
1132 सज्झाय (9) | 1 भद्रबाहुस्वामी
वीरसदी दूसरी
(मा.गु.) पद्य * ढाल 6 | सर्वगाथा 42, कळश गाथा-1 {चोवीशे {चोवीसे) जिनवर नमुं, ...शिव संपद लहे।।1।।) {961, 1764, 1769, 1776, 1781=5) 24 जिन गणधरसाधुसाध्वी संख्या गर्भित स्तवन * (मा.गु.) * पद्य * ढाल 3 / सर्वगाथा 19, कळश 19-19 {आदीसर पहिलो अरिहंत, ...ध्याइयें धर्म देव ए।191) {1775) आवश्यक नियुक्ति की विविध गाथात्मक सज्झाय * (प्रा.) * पद्य * सज्झाय 7 {ते वंदिऊण सिरसा, ...सिद्धि गया एग. समएणं।।1611} {1760} आवश्यक अक्षर प्रमाण सज्झाय * (गु.) * पद्य * गाथा 13 {सुण सुण जीव...धरज्यो हिये सुजाण।।13।।} {1754) पाक्षिक प्रतिक्रमण की सज्झाय * (गु.) * पद्य * गाथा 10 {पक्खिय प्रतिक्रमणो कहीशुं...करवा विधि, निशदीश।।1011) 11754)
2 | समरचंद्रसूरि
वि. 1588#
3 | समरचंद्रसूरि
वि. 1588#
| 4
यशोविजयजी महोपाध्याय | वि. 1725#
5 धर्मसिंह मुनि
वि. 1699#
प्रतिक्रमण की सज्झाय * (गु.) * पद्य * गाथा 13 {गोयम पूछे श्री...भवजल पार रे।गो०111311) {1757, 1776, 1781, 1782=4) प्रतिक्रमण फळनी सज्झाय * (गु.) * पद्य * गाथा 7 {कर पडिकमj (पडिक्कमणो) रे...निदान लाल रे कर०।।711) {1776, 1784} (मा.गु.) * पद्य * गाथा 9 {भवियण प्राणी रे...लहे सासता. 9) {1784,1792)
6 ज्ञानविमलसूरि
वि. 172823